महाराष्ट्र सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर शामिल करने का फैसला लिया है। इस पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कड़ा एतराज जताया और कहा कि यह मराठी भाषा और पहचान पर हमला है।
राज ठाकरे का विरोध, उध्दव को भी साथ आने का न्योता
राज ठाकरे ने शिक्षा मंत्री दादा भुसे से मुलाकात कर सरकार का यह फैसला ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वाकई में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू करना चाहती है, तो खेलकूद और कला जैसे जरूरी विषयों को बढ़ावा दे, न कि हिंदी थोपे। राज ने साफ कहा, “यह महाराष्ट्र की बात है, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं।” उन्होंने उध्दव ठाकरे समेत सभी दलों और मराठी लेखकों, कलाकारों को भी विरोध मार्च में शामिल होने का न्योता दिया।
6 जुलाई को मुंबई में विरोध मार्च
राज ठाकरे ने ऐलान किया कि 6 जुलाई को गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक एक बड़ा विरोध मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि रविवार का दिन इसलिए चुना गया ताकि ज्यादा से ज्यादा माता-पिता और छात्र शामिल हो सकें।
“हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं”
राज ठाकरे ने कहा, “हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन महाराष्ट्र में पहली कक्षा के बच्चों को सिर्फ मराठी में पढ़ाया जाना चाहिए। यही मैंने शिक्षा मंत्री को भी कहा है।”
सरकार की अगली रणनीति पर नजर
राज ठाकरे से मुलाकात के बाद शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पूरा मामला बताया। अब सबकी नजर इस पर है कि क्या सरकार अपने फैसले में बदलाव करेगी या नहीं।