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वक्फ बिल के बाद अब मोदी सरकार के टॉप एजेंडे में UCC, विधि आयोग बनाएगा ड्राफ्ट

UCC
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वक्फ संशोधन बिल को तो सरकार ने दोनो सदनों में पास करवाकर कानून बना दिया, अब मोदी सरकार के टॉप एजेंडों में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC है. अंदरखाने से जो खबर छनकर आ रही है, वो ये कि वक्फ बिल को संसद में जबरदस्त समर्थन मिला—JDU, TDP, YSRCP, BJD तक ने साथ दे दिया—तो सरकार का हौसला डबल हो गया। अब उसी जोश में UCC को भी लाने का मूड बना लिया है.


UCC का पुराना ड्राफ्ट था तैयार

पहले 22वें विधि आयोग ने UCC का ड्राफ्ट तैयार किया था, जस्टिस रितुराज अवस्थी की अगुवाई में करीब एक करोड़ लोगों की राय जुटाई गई, 30 से ज्यादा संगठनों से बातचीत भी हुई, लेकिन फिर आयोग का कार्यकाल ही खत्म हो गया, और मामला लटक गया.

अब आया 23वां विधि आयोग

2 सितंबर 2024 को 23वें विधि आयोग की अधिसूचना निकली थी, लेकिन अब जाकर अध्यक्ष और सदस्य तय हुए हैं.
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी (जो मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए) को अध्यक्ष बनाया जा रहा है. साथ में होंगे –वकील हितेश जैन, प्रोफेसर डीपी वर्मा दोनों फुल टाइम मेंबर होंगे. इनकी नियुक्ति की अधिसूचना इस हफ्ते में आ ही जाएगी


सरकार की मंशा क्या है?

अब असली बात ये है कि सरकार UCC लाकर क्या करना चाहती है? सरकार का कहना है – सबके लिए एक जैसा कानून हो: चाहे वो शादी हो, तलाक हो, संपत्ति का बंटवारा हो या गोद लेना. लेकिन बहुत से लोगों और संगठनों का कहना है कि ये सिर्फ ऊपर से दिखाने वाली बात है, असल मकसद कुछ और ही है.


आम राय क्या कहती है?

  1. मुस्लिम पर्सनल लॉ और वक्फ संस्थाओं पर वार:
    लोगों को डर है कि सरकार धीरे-धीरे धार्मिक पहचान को मिटाकर सबको एक ही ढांचे में ढालना चाहती है.
  2. चुनावी ध्रुवीकरण (पोलराइजेशन):
    ये मुद्दा हिंदू बनाम मुस्लिम जैसे बहस को हवा देता है।
    इससे चुनाव में फायदा होता है, खासकर बीजेपी जैसी पार्टी को.
  3. हिंदू लॉ को “नॉर्मल” बनाना:
    डर ये है कि एक जैसा कानून लाने के नाम पर जो कानून बनेगा, वो असल में हिंदू पर्सनल लॉ जैसा होगा,
    और बाकी धर्मों के अपने रिवाज़, परंपराएं खत्म कर दी जाएंगी.

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