पहलगाम में हुए मिलिटेंट हमले में मारे गए 26 लोगों में एक कश्मीरी भी था. सैयद आदिल हुसैन शाह. वह पोनी (टट्टू) चलाने का काम करता था. हमले के वक्त उसने एक बंदूकधारी का बहादुरी से सामना किया, और उसकी राइफल छीनने की कोशिश की. पहलगाम के इस हमले में वो अकेला स्थानीय नागरिक था जिसकी जान गई.
34 साल का सैयद आदिल हुसैन शाह अनंतनाग के हपतनार गांव का रहने वाला था. हमले के दौरान उसने जिन पर्यटकों को उस जगह पर पहुँचाया था, उनकी जान बचाने की कोशिश करते हुए उसने बहादुरी दिखाई.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, उसके पिता सैयद हैदर हुसैन शाह ने कहा, “मेरा बेटा काम करने के लिए पहलगाम गया था, और दोपहर करीब 3 बजे, हमने हमले की खबर सुनी. हमने उसे फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद था.”
“बाद में, 4 बजकर 40 मिनट पर उसका फोन चालू हुआ, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. हम तुरंत पुलिस स्टेशन गए, और तभी हमें पता चला कि वह हमले का शिकार हो गया है. जो भी इसके लिए जिम्मेदार है, उसे सजा मिलनी चाहिए.”
आदिल, ने हाल ही में अपनी बेटी को खोया था, वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला था. वह घोड़े के मालिक से मिलने वाले रोजाना 300-400 रुपये पर गुजारा करता था.
बता दें कि, कश्मीर में बाईसरन नाम की एक बहुत सुंदर और शांत जगह है, जो पहलगाम से करीब सात किलोमीटर दूर है. वहाँ का रास्ता थोड़ा मुश्किल है, ऊबड़-खाबड़ है. वहा गाड़ी लेकर जाना मुश्किल है. वहां जाने के लिए या तो पैदल जाना होगा, या घोड़े से. खबरों के मुताबिक, हमले में जो लोग मारे गए, उनको पोनी चलाने वाले (घोड़े चलाने वाले) ही घोड़ों पर बिठाकर पहलगाम तक लाए.
बीते दिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते दिन हमला हुआ. ये हमला पर्यटकों पर किया गया. पर्यटकों पर बंदूकधारियों ने फ़ायरिंग की और इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई. और कई लोगों के घायल होने की खबर है. यह हमला ऐसे वक्त हुआ है जब कश्मीर में पर्यटन धीरे-धीरे बढ़ रहा था. इस घटना की वजह से घाटी में पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) को एक बड़ा झटका लगने का खतरा है. यह हमला पिछले कई सालों नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला है. इस हमले के बाद से घाटी में तनाव बढ़ गया है.