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पहलगाम हमला: इंदिरा गांधी की यादें ताजा, बयानों और नीतियों पर बहस

22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हमला हुआ. जिसमें 26 टूरिस्ट की जान चली गई, इस हमले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अचानक से चर्चा में आ गईं. हमले के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिनमें कुछ लोग इंदिरा गांधी के समय की नीतियों को याद कर रहे हैं।

बता दें कि, पहलगाम में हमले के बाद, केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई।  इसमें सभी पार्टियों के नेताओं को बुलाया गया। इस मीटिंग में सब पार्टियों ने कहा कि अगर सरकार हमला करने वालों के खिलाफ कोई भी कदम उठाएगी, तो वे सरकार के साथ हैं। लेकिन विपक्ष के नेताओं ने यह भी कहा कि हमले के दौरान सुरक्षा में चूक हुई।

भारत ने किए पांच बड़े फैसले

हमले के बाद भारत ने तुरंत पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले लिए, जिसमें सिंधु नदी पानी समझौते पर रोक लगाई गई. इसके जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौता मामने से इंकार कर दिया है। साथ ही, पाकिस्तान ने अपने देश के ऊपर से भारतीय हवाई जहाजों के उड़ने पर भी रोक लगा दी। पाकिस्तान के इस फैसले के बाद लोग सोशल मीडिया पर इंदिरा गांधी के बारे में बातें कर रहे हैं।

इंदिरा गांधी को लेकर कौन क्या कह रहा

पहलगाम हमला के खिलाफ हैदराबाद में विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने कैंडल मार्च निकाला। इस मौके पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि पूरा देश हमलावरों को सबक सिखाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे पहले इंदिरा गांधी ने चीन और पाकिस्तान को हराया था, वैसे ही अब भी जवाब देना होगा। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था।

शिवसेना नेता संजय राऊत ने भी इंदिरा गांधी की फोटो डालकर कहा कि आज देश को उनकी बहुत याद आ रही है।

उधर, बीजेपी के नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरकार मानती है कि सुरक्षा में कमी हुई थी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सबसे बड़ी सुरक्षा में कमी तो तब हुई थी जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही घर में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने पूछा कि क्या बीजेपी ने कभी इस बात को मुद्दा बनाया था?

सोशल मीडिया पर क्या कह रहे लोग

पहलगाम हमले के बाद इंदिरा गांधी पर तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के बयानों पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ यूज़र्स उनके बयानों का समर्थन कर रहे हैं और 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी की भूमिका की प्रशंसा कर रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान के सैनिकों का आत्मसमर्पण शामिल है। वहीं, कुछ अन्य यूज़र्स शिमला समझौते को याद करते हुए पाकिस्तान के सैनिकों को रिहा करने के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इसे मेज पर जंग हारने जैसा बता रहे हैं।

क्या है शिमला समझौता

शिमला समझौता 1971 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई के बाद हुआ था। उस लड़ाई में भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने में मदद की थी और लगभग 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाल दिए थे। इसके बाद इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने मिलकर यह समझौता किया था।

इस समझौते की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • दोनों देश अपने विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से द्विपक्षीय बातचीत से हल करेंगे। इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं होगी।
  • दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करेंगे।
  • 17 दिसंबर 1971 की युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा (LoC) माना जाएगा और दोनों देश इसका सम्मान करेंगे।
  • भारत ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा कर दिया और युद्ध में जीती हुई लगभग 13,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पाकिस्तान को वापस कर दी।
  • दोनों देशों ने व्यापार, संचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।

संक्षेप में, शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सामान्य संबंधों की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें द्विपक्षीय बातचीत पर जोर दिया गया था।

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