पहलगाम में हुए हमले के बाद दुनिया के कई मुल्कों ने इस हमले पर दुख जताया है. चीन ने भी हमले की निंदा की, लेकिन जानकारों का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए चीन इस मामले से दूर रहना चाहेगा, क्योंकि उसके पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते हैं. भारत के साथ सीमा पर विवाद भी चल रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के समय में अक्सर अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ देखा जाता था, खासकर 1971 की लड़ाई में. लेकिन पहलगाम हमले के बाद अमेरिका ने खुलकर भारत का साथ दिया है।
हमले पर अमेरिकी नेताओं ने क्या कहा
हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दुख जताया और कहा कि अमेरिका terrorism के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी हमले को लेकर दुख जताया है. क्योंकि जिस वक्त ये हमला हुआ वे भारत में ही थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि उनकी और उनकी पत्नी की संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों के साथ हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
- अमेरिकी नेताओं के बयानों से भारत को समर्थन दिख रहा है, पर यह पक्का नहीं कि लड़ाई होने पर अमेरिका खुलकर साथ देगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका अब भारत के करीब है क्योंकि भारत क्वाड में है और चीन-पाकिस्तान की दोस्ती से अमेरिका सावधान है।
- अभी ट्रंप अमेरिका की अर्थव्यवस्था सुधारने पर ध्यान दे रहे हैं, इसलिए भारत-पाकिस्तान के तनाव पर वे सावधानी से नज़र रखेंगे और शायद सीधे लड़ाई में शामिल नहीं होंगे। अमेरिका कोई भी फैसला लेने से पहले पहलगाम हमले की पूरी जानकारी लेगा और देखेगा कि आगे क्या हो सकता है।
- पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए सऊदी अरब बातचीत करा रहा है। ईरान ने भी मदद की पेशकश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों में कट्टरपंथी सोच की वजह से शांति की कोशिश शायद सफल न हो।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हमला करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों में लड़ाई हो सकती है, पर यह कितनी बड़ी होगी यह कहना मुश्किल है।
- कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका के पाकिस्तान से पुराने रिश्ते हैं और वह नहीं चाहता कि दक्षिण एशिया में भारत बहुत ताकतवर बन जाए। अभी अमेरिका के रवैये से लगता है कि वह पाकिस्तान पर दबाव डालेगा।
- हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान और चीन समेत कई कंपनियों पर व्यापार करने से रोक लगाई है क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कंपनियां अमेरिका के खिलाफ काम कर रही हैं। अमेरिका के कुछ जानकार नहीं चाहते कि भारत पूरे दक्षिण एशिया पर राज करे और वे इस इलाके में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं।
‘कई मोर्चों पर उलझा है अमेरिका’
नई दिल्ली के थिंक टैंक ORF के प्रोफ़ेसर हर्ष वी पंत का मानना है कि अमेरिका ऐसे मामलों में किसी का पक्ष नहीं लेगा, बल्कि अपना फायदा देखेगा। उनके अनुसार, भले ही अभी अमेरिका भारत के साथ दिख रहा है, लेकिन भारत-पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात होने पर ट्रंप को कोई फर्क नहीं पड़ेगा और अमेरिका सक्रिय भूमिका नहीं निभाएगा। पंत यह भी कहते हैं कि पहले अमेरिका पाकिस्तान का साथ देता था, पर अब समय बदल गया है। अगर तनाव बढ़ता है, तो देखना होगा कि अमेरिका क्या रुख अपनाता है। अमेरिका पहले से ही रूस-यूक्रेन युद्ध में उलझा है, जिसे ट्रंप खत्म करना चाहते हैं क्योंकि इससे अमेरिका पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। ट्रंप के टैरिफ़ से दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी परेशानी है।
विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि अमेरिका चाहेगा कि भारत और पाकिस्तान बातचीत से मसला हल करें, क्योंकि वह पहले से ही यूक्रेन, गाजा और यमन जैसे कई मामलों में उलझा हुआ है। आगा मानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने में नाकाम रहने और टैरिफ़ वॉर में उलझे होने के कारण अमेरिका नहीं चाहेगा कि भारत और पाकिस्तान युद्ध करें।आगा को लगता है कि पीएम मोदी इस तनाव को लंबा खींचेंगे ताकि पाकिस्तान पर दबाव बना रहे, जो पहले से ही बलूचिस्तान जैसे इलाकों में समस्याओं से जूझ रहा है, जहाँ हाल ही में एक ट्रेन भी हाइजैक हो गई थी।
निष्कर्ष- बता दें कि पहलगाम हमले के बाद दुनिया ने दुख जताया, पर चीन की दूरी और अमेरिका का बदला रुख़ ध्यान देने योग्य है। अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है, लेकिन युद्ध की स्थिति में उसकी भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि वह अपने हितों को प्राथमिकता देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भारत के करीब ज़रूर आ रहा है, पर ट्रंप का ध्यान अभी घरेलू मुद्दों पर है। तनाव कम करने की कोशिशें हो रही हैं, पर कट्टरपंथी सोच बाधा बन सकती है। भारत सख्त कार्रवाई की बात कर रहा है, और संघर्ष की आशंका बनी हुई है। अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव ज़रूर डालेगा, पर दक्षिण एशिया में भारत को पूरी आज़ादी नहीं देगा। जानकारों का मानना है कि अमेरिका चाहेगा कि भारत और पाकिस्तान बातचीत से मसला हल करें, क्योंकि वह पहले से ही कई वैश्विक मामलों में उलझा है। यह भी संभावना है कि भारत इस तनाव को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लंबा खींचे।