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पानी मांगा, जान गंवाई: कर्नाटक में मुस्लिम युवक की भीड़ ने ली जान, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे का झूठा आरोप

पानी मांगा, जान ले ली! कर्नाटक में मुस्लिम युवक की बेरहमी से हत्या

कर्नाटक के मंगलुरु में 36 साल के अशरफ हिंदुत्व की भेट चढ़ गए हैं. उन्हें भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला. और जब तक मारा जब तक वे जमीन पर नहीं गिर गए. और हद तो तब हो गई जब इस लोगों ने अपने जुर्म को सही साबित करने के लिए अशरफ पे ही झूठा इल्जाम लगा दिया कि अशरफ ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे.  क्या है पूरा मामला. 

36 साल के अशरफ, जो मानसिक रूप से थोड़े कमजोर थे और केरल के रहने वाले थे, उन्हें कुछ लोगों की भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। ये सब उस वक्त हुआ जब अशरफ एक क्रिकेट मैच देख रहे थे और उन्होंने प्यास लगने पर पास खेल रहे लोगों से पानी मांग लिया था। सोचिए, सिर्फ पानी पीने की वजह से किसी की जान ले ली गई!

इस भीड़ में मुख्य भूमिका रविंद्र नायक नाम का एक शख्स निभा रहे, जो बीजेपी की एक पार्षद का पति है। इस भीड़ में बजरंग दल और आरएसएस जैसे संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल थे। उन्होंने अशरफ को क्रिकेट बैट और दूसरे हथियारों से तब तक मारा जब तक वह गिर नहीं पड़े। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि अशरफ के शरीर पर इतनी गहरी चोटें आई थीं कि अंदरूनी खून बहने और सदमे से उनकी मौत हो गई।

और दुख की बात तो यह है कि अशरफ को मारने के बाद, इन हमलावरों ने एक घटिया झूठ फैलाया कि अशरफ ने “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए थे। यह सिर्फ इसलिए किया गया ताकि उनके इस घिनौने अपराध को सही ठहराया जा सके। यहां तक कि कर्नाटक के गृह मंत्री ने भी पहले इस झूठी बात को दोहराया, हालांकि बाद में उन्होंने अपनी गलती सुधारी। पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इंसाफ अभी भी दूर है।

अशरफ के परिवार और उनके मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक आम मारपीट नहीं थी, बल्कि यह नफरत से भरी हुई हत्या थी। उनका कहना है कि सिर्फ एक मुस्लिम होने की वजह से अशरफ को निशाना बनाया गया। उनकी जनाजे में लोगों में दुख और गुस्सा साफ देखने को मिला, वह इस बात का सबूत है कि लोगों के दिलों में कितना दर्द है। यह घटना कर्नाटक में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हुई हिंसा की तरफ इशारा करती है, जो बेहद चिंताजनक है। हमें मिलकर इस नफरत के खिलाफ आवाज उठानी होगी और इंसाफ के लिए लड़ना होगा।

ठहरिए और सोचिए! यह पहली बार नहीं है। पहलगाम के बाद से मुसलमानों के खिलाफ नफरत का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। कश्मीरी छात्रों पर हमला, ’26 का बदला 2600′ जैसे नारे लगाकर मुस्लिम युवाओं की हत्या… यह इंसाफ नहीं, बल्कि खुलेआम गुंडागर्दी है! बेगुनाहों को उनकी पहचान के नाम पर मारना, यह कहां की इंसानियत है?

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