दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अपने पढ़ाई के तरीके में कुछ बदलाव किया है। उन्होंने साइकोलॉजी के सिलेबस से कश्मीर और फिलिस्तीन की केस स्टडीज हटा दी है। यह फैसला यूनिवर्सिटी की एक कमेटी ने लिया है। इस कमेटी के हेड प्रोफेसर श्री प्रकाश सिंह हैं। इस फैसले से यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि यह एजुकेशन में एक खास तरह की सोच को बढ़ावा देने की कोशिश है।
‘कश्मीर मसला हल, फिलिस्तीन ज़रूरी नहीं’
साइकोलॉजी के पेपर ‘साइकोलॉजी ऑफ पीस’ में था, संघर्षों के बारे में पढ़ाया जाता था। इसमें भारत के अंदर के और दूसरे देशों के संघर्षों के उदाहरण दिए जाते थे, जैसे कश्मीर और इजरायल-फिलिस्तीन का झगड़ा। लेकिन अब प्रोफेसर सिंह का कहना है कि कश्मीर का मसला तो हल हो गया है और इजरायल-फिलिस्तीन के बारे में पढ़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी भारतीय सोच को ज़्यादा महत्व देना चाहिए और इसके लिए महाभारत और भगवत गीता जैसे ग्रंथों को सिलेबस में शामिल करना चाहिए। उनका मानना है कि हमारी पढ़ाई में पश्चिमी विचारों का बहुत ज़्यादा असर है, जिसे कम करने की ज़रूरत है।
केस स्टडीज हटाने पर शिक्षकों की चिंता
लेकिन यूनिवर्सिटी के टीचर्स इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर इन विषयों को हटा दिया जाएगा तो छात्रों को दुनिया में हो रहे असली संघर्षों को समझने में मुश्किल होगी। हालांकि, सिलेबस में कुछ नए विषय भी जोड़े जा रहे हैं, जैसे डिजिटल डेटिंग और रिलेशनशिप साइकोलॉजी, जिसमें डेटिंग ऐप्स के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, कुछ ऐसे विषय भी शामिल किए गए हैं जो छात्रों को जाति, लिंग और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों की मानसिक परेशानियों को समझने में मदद करेंगे।
भारत को समझने के लिए ज़रूरी विषय हटाए गए
प्रोफेसर मोनामी सिन्हा, जो यूनिवर्सिटी की कमेटी और एकेडमिक काउंसिल दोनों में हैं, ने इस फैसले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि ये विषय आज के भारतीय समाज को समझने के लिए बहुत ज़रूरी हैं और इन्हें नज़रअंदाज़ करने से मनोविज्ञान की पढ़ाई उन लोगों की ज़िंदगी से दूर हो जाएगी जो इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। प्रोफेसर सिंह ने रिलेशनशिप स्टडीज को हटाने के पीछे यह तर्क दिया है कि भारत में तो अरेंज मैरिज का सिस्टम बहुत अच्छा है और यहाँ तलाक भी कम होते हैं।
अब इस सिलेबस को दोबारा बनाने के लिए एक नई कमेटी बनाई गई है। लेकिन चिंता इस बात की है कि भारत की एक बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के कंटेंट को एक खास विचारधारा के हिसाब से बदला जा रहा है। अभी तक प्रोफेसर सिंह या मनोविज्ञान विभाग की हेड प्रोफेसर उर्मि नंदा बिस्वास ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।