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UP: पहलगाम हमले की पीड़िता हिमांशी नरवाल के समर्थन में पोस्ट करने पर मुस्लिम महिला शिक्षिका निलंबित

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले की एक मुस्लिम महिला शिक्षिका को सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट के चलते निलंबित कर दिया गया है। मलोघाट, चोपन स्थित एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत जेबा अफरोज़ पर आरोप है कि उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में बचे नौसेना अधिकारी विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के समर्थन में सोशल मीडिया पर “विवादास्पद और आपत्तिजनक” टिप्पणी की।

क्या है पूरा मामला?
जेबा अफरोज़ (ई-कोड 324086) ने फेसबुक पर एक पोस्ट में हिमांशी नरवाल का समर्थन किया था, जिन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था, “हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के पीछे पड़ें। हमें सिर्फ़ शांति चाहिए। न्याय ज़रूर चाहिए, लेकिन जिन्होंने ग़लत किया है, बस उन्हें सज़ा मिले।” हिमांशी के इस बयान को कई लोगों ने “घृणा फैलाने वालों को करारा जवाब” बताया, लेकिन सोशल मीडिया पर उन्हें भारी ट्रोलिंग और नफ़रत का सामना करना पड़ा। जेबा ने इस नफ़रत अभियान के ख़िलाफ़ पोस्ट में लिखा, “ऐसी घिनौनी और घटिया सोच सामने आ रही है।” इसी पोस्ट को शिक्षा विभाग ने “सांप्रदायिक और आपत्तिजनक” बताया है।

आगरा की घटना पर भी टिप्पणी बनी विवाद का हिस्सा
शिक्षिका पर यह भी आरोप है कि उन्होंने आगरा में मुस्लिम युवक गुलफ़ाम की हत्या के मामले में फेसबुक पोस्ट के ज़रिए कथित सांप्रदायिक एंगल को उजागर करने की कोशिश की, जबकि पुलिस ने इसे महज़ पैसों के लेन-देन का विवाद बताया था।

जेबा ने लिखा था, “गुलफाम की हत्या के आरोपी पुलिस एनकाउंटर में गिरफ़्तार हुए और केस को मोड़कर पैसों के विवाद में तब्दील कर दिया गया। जिन आरोपियों ने 26 और मुसलमानों की हत्या के लिए भड़काया था, उन्हें एक आतंकी संगठन से क्लीन चिट मिल गई और क़ानून ने अपना काम कर दिया। अगर केस की असलियत सामने आ जाए तो कई बड़े आतंकी चेहरे बेनक़ाब हो जाएंगे। एक दिन इन्हीं आरोपियों को माला पहनाकर सम्मानित किया जाएगा।”

सरकारी सेवक आचरण नियमों का उल्लंघन: शिक्षा विभाग
इस मामले में सोनभद्र के ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मुकुल आनंद पांडेय ने बयान जारी करते हुए कहा, “श्रीमती जेबा अफरोज़ द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर की गई टिप्पणियां न केवल विवादास्पद हैं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 का उल्लंघन भी हैं। शिक्षण पेशे की गरिमा के विपरीत यह कृत्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की श्रेणी में आता है।” इसके साथ ही शिक्षिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि फेसबुक पोस्ट “अशोभनीय, सांप्रदायिक, और अनुशासनहीनता” के दायरे में आती हैं।

विवादित पोस्ट और विभागीय सख़्ती
जेबा के एक अन्य फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “देश के वफ़ादार हमेशा मुसलमान रहे हैं; गद्दार वही रहे हैं जिन्होंने अपने ही लोगों से ग़द्दारी की है।” विभाग ने इसे भी “आपत्तिजनक” माना है और कहा है कि यह बयान समाज में विभाजनकारी भावनाएं फैलाने वाला है।

हिंदुत्ववादी समूहों की शिकायत बनी कार्रवाई की वजह
इस मामले में शिक्षा विभाग की कार्रवाई से पहले कई हिंदुत्व समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स और स्थानीय समूहों ने जेबा अफरोज़ की पोस्ट को लेकर विरोध जताया और इसे “सांप्रदायिक और देशविरोधी” बताते हुए शिकायतें दर्ज कराईं। इसके बाद ही यह मुद्दा ज़िला प्रशासन और शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया गया।

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