बाराबंकी ज़िले के दूरदराज़ गांव निज़ामपुर में इतिहास रच गया है। महज़ 300 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से दलित बहुल गांव से रामकेवल, एक 15 वर्षीय लड़के ने उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 10वीं की परीक्षा पास कर, गांव में पहला ऐसा छात्र बनने का गौरव हासिल किया है, जिसने यह मुकाम छू लिया।
अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह में आए यूपी बोर्ड के नतीजे जहां पूरे प्रदेश के लिए अहम थे, वहीं निज़ामपुर के लिए यह एक नई सुबह जैसा था। वर्षों से शिक्षा से वंचित इस गांव ने पहली बार किसी बच्चे को दसवीं पास करते देखा।
संघर्ष भरा था सफर
रामकेवल अहमदपुर के सरकारी इंटर कॉलेज में पढ़ता था। दिन में वो शादियों में लाइट उठाने का काम करता था जिससे रोज़ 250 से 300 रुपये कमाता था। लेकिन हर रात वह थककर लौटने के बाद भी कम से कम दो घंटे अपनी किताबों में डूब जाता था, एक सोलर लैंप की रोशनी में।
“देर रात घर आता था, लेकिन पढ़ाई ज़रूर करता था,” — रामकेवल
चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा रामकेवल गांव में अब मिसाल बन गया है। जहां कभी लोग उस पर हँसते थे, अब वहीं लोग उसे देखकर अपने बच्चों को पढ़ाने का हौसला जुटा रहे हैं।
प्रशासन ने बढ़ाया हौसला
बाराबंकी के ज़िलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने रामकेवल और उसके परिवार को सम्मानित किया। उन्होंने यह भी वादा किया कि रामकेवल की आगे की पढ़ाई में हर संभव मदद की जाएगी।