भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रुक गई है, सीजफायर हो गया है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि यह सब उन्होंने करवाया है।असल में, पहलगाम में 26 टूरिस्ट पर हमला हुआ था, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से हमला किया। इससे दोनों देशों के बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया था और फिर सीजफायर हुआ।इसके बाद सोशल मीडिया पर बहुत सारी बातें हो रही हैं। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ट्रंप सच में शांति लाए हैं या यह सिर्फ उनकी राजनीति है। कुछ लोग उन्हें अच्छा बता रहे हैं, तो कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं।सोशल मीडिया पर मीम्स भी बन रहे हैं, जिनमें ट्रंप को हीरो की तरह दिखाया जा रहा है। लेकिन कुछ लोग यह भी सोच रहे हैं कि क्या यह शांति हमेशा रहेगी या फिर से लड़ाई होगी।पत्रकार और जानकार लोग इस बारे में बातें कर रहे हैं, और आम लोग राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में यह सवाल है कि इस सीजफायर की असली वजह क्या है। सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी राय दे रहा है।
रणविजय नाम के यूजर अपने एक्स एकाउंट पर लिखते हैं कि-
भारत-पाकिस्तान की जंग रोकने का पूरा क्रेडिट ट्रंप ले रहे हैं. इस घटना ने ट्रंप को बहुत बड़ा बना दिया.वहीं, ये मैसेज भी गया कि भारत और पाकिस्तान को अमेरिका कंट्रोल करता है. ट्रंप अब कश्मीर का मसला सुलझाने की बात भी कह रहे हैं. हमारी सरकार ने विश्व पटल पर बहुत बेइज्जती करवा दी.
वहीं, अशोक कुमार पंडेय़ लिखते हैं कि- यह शिमला समझौता खत्म होने का परिणाम है। अब ट्रम्प मसला-ए-कश्मीर पर मध्यस्थता करेगा, पाकिस्तान अस्सी साल पहले बना लेकिन वह हिन्दू-मुसलमान के पाकिस्तानी नैरेटिव को चलाते हुए हज़ार साल की बात कर रहा है। POK लाने की बात थी, कश्मीर जाता दिख रहा है।
मनोज कुमार झा लिखते हैं कि- बधाई हो दुनिया वालों…..एक ‘स्वघोषित'(?) ‘सरपंच’ साहब ने जन्म लिया है. जय हिन्द
रवीन्द्र कापूर लिखते हैं कि- ये तस्वीर मुझे हमेशा याद दिलाती रहेगी कि भारत का प्रधानमंत्री कितना कमजोर है

इस सीजफायर और उसके बाद सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाएं कई सवाल खड़े करती हैं। जहाँ एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इसका श्रेय ले रहे हैं, वहीं भारतीय सोशल मीडिया पर इसे सरकार की कमजोरी और कूटनीतिक विफलता के तौर पर देखा जा रहा है। रणविजय जैसे यूजर्स का मानना है कि भारत ने विश्व मंच पर अपनी बेइज्जती करवाई है और अमेरिका को नियंत्रण करने का मौका दिया है। अशोक कुमार पांडे ने इसे शिमला समझौते के खत्म होने का परिणाम बताते हुए आशंका जताई है कि अब ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकते हैं, जिससे भारत को नुकसान हो सकता है। मनोज कुमार झा ने व्यंग्यात्मक लहजे में ट्रंप को ‘स्वघोषित सरपंच’ बताया है, जबकि रवीन्द्र कपूर ने इस घटना को प्रधानमंत्री की कमजोरी का प्रतीक माना है।
कुल मिलाकर, सीजफायर की खबर राहत लेकर आई, लेकिन इसके बाद उपजी प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि इस घटनाक्रम को लेकर देश में अलग-अलग राय हैं और कई अनसुलझे सवाल अभी भी मौजूद हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह घटनाक्रम किस दिशा में आगे बढ़ता है और भारत सरकार इन आलोचनाओं पर क्या प्रतिक्रिया देती है।