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ग़ाज़ा में भूख और चिकित्सा अभाव से बिगड़ता हालात: 24 घंटे में 26 लोगों की मौत, 9 बच्चे शामिल

जिनेवा स्थित मानवाधिकार संस्था Euro-Med Human Rights Monitor ने बुधवार रात को एक भयावह रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि ग़ाज़ा में सिर्फ़ 24 घंटे के भीतर कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 9 बच्चे भी शामिल हैं। संस्था ने इस त्रासदी के लिए जानबूझकर की गई भुखमरी की नीति और चिकित्सा उपचार से इनकार को जिम्मेदार ठहराया है।

इज़रायल की नाकेबंदी और सैन्य अभियान से हालात और बदतर

ग़ाज़ा में लगातार 19वें महीने चल रहे इज़रायली सैन्य अभियान और सख़्त नाकेबंदी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। Euro-Med Monitor का कहना है कि मार्च 2024 के बाद से हालात और भी भयावह हो गए हैं, जिससे ग़ाज़ा में एक “मानव-निर्मित मानवीय तबाही” पैदा हो गई है।

बुज़ुर्गों, बच्चों और बीमारों की मौतों में तेज़ी

संस्था के अनुसार, ग़ाज़ा में भोजन, दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी की वजह से बुज़ुर्गों, बच्चों और गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की मौतों में भारी इज़ाफा हुआ है।

इज़रायल की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के चलते ग़ाज़ा का स्वास्थ्य तंत्र लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। दक्षिण ग़ाज़ा का ग़ाज़ा यूरोपियन अस्पताल और उत्तर का इंडोनेशियन अस्पताल अब बंद हो चुके हैं, जबकि अन्य सुविधाएं बमबारी और संसाधनों की कमी के बीच मुश्किल से चल रही हैं।

संस्था द्वारा एकत्र किए गए बयानों में विस्थापितों की पीड़ा झलकती है

ख़ान यूनिस के 76 वर्षीय अब्दुल सलाम कुदेह ने कहा कि उन्होंने इज़रायली आदेश के बाद बिना खाना या दवा के कई घंटे तक पैदल सफर किया। बुज़ुर्ग कलाकार समीर अल-कबारती ने कहा, “मैंने दो-तीन दिन से कुछ नहीं खाया। मुझे बस रोटी का एक टुकड़ा चाहिए।”

विदाद अल-सुमैरी (73) ने कहा कि उनके साथ जो बच्चे हैं वे कुपोषण और डिहाइड्रेशन से पीड़ित हैं। “हमें बार-बार विस्थापित किया गया और अब भूख से मारा जा रहा है,” उन्होंने कहा।

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी और सहायता की विफलता

संयुक्त राष्ट्र ने ग़ाज़ा की मानवीय स्थिति को “विनाशकारी” बताया है। हाल ही में ग़ाज़ा में केवल पाँच सहायता ट्रक पहुंचे थे, जिनमें पोषण सप्लीमेंट्स और कफ़न जैसे जरूरी सामान थे। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये ज़रूरतमंद नागरिकों तक पहुँचे भी या नहीं। एक यूएन अधिकारी ने इस सहायता को “सागर में एक बूंद” कहा।

‘प्राकृतिक मौत’ बताकर दबाए जा रहे आंकड़े

Euro-Med Monitor का आरोप है कि भूख और चिकित्सा अभाव से हो रही मौतों को सही से दर्ज नहीं किया जा रहा। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मौतों को ‘प्राकृतिक कारण’ बताकर रिकॉर्ड किया जा रहा है, क्योंकि ग़ाज़ा में कोई प्रभावी निगरानी प्रणाली मौजूद नहीं है।

युद्ध अपराध और नरसंहार के आरोप

Euro-Med Monitor ने चेतावनी दी है कि यह जानबूझकर की जा रही भुखमरी और स्वास्थ्य सुविधा से वंचित करना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध है, और ये युद्ध अपराध तथा नरसंहार की श्रेणी में आ सकते हैं। संस्था ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) से जांच तेज़ करने और इज़रायली अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की है।

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