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Aligarh में गौमांस के शक में मुस्लिम युवकों की Mob Lynching, बजरंग दल वालों ने बेरहमी से पीटा, गाड़ी में लगाई आग

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के हरदुआगंज इलाके में शनिवार सुबह एक भयावह घटना सामने आई। चार मुस्लिम युवक जब मीट से भरा कंटेनर लेकर अत्रौली से अलीगढ़ मंडी फ़ैक्टरी जा रहे थे, तभी हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े एक उग्र भीड़ ने उन्हें रोक लिया और बर्बरता से पीटा। यह हमला पनेठी रोड से साधु आश्रम रोड की ओर जाने वाले रास्ते पर सुबह क़रीब 8:30 बजे हुआ।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें चार मुस्लिम युवकों को अर्धनग्न करके बेरहमी से पीटते हुए देखा गया। आरोप है कि इस दौरान पुलिस भी मौके पर मौजूद थी, फिर भी भीड़ ने न सिर्फ युवकों को मारा बल्कि उनकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया।

FIR और कानूनी कार्रवाई

हरदुआगंज थाना में दर्ज प्राथमिकी (FIR) के अनुसार, शिकायतकर्ता सलीम खान और उनके भतीजे अकील इब्राहिम जब मीट लेकर मंडी जा रहे थे, तभी 13 नामज़द और 20–25 अज्ञात लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। भीड़ ने ₹50,000 की रंगदारी मांगी। सलीम और अकील के विरोध करने पर रामकुमार आर्य और लवकुश नामक लोगों ने बाकियों को मारने का आदेश दिया।

FIR में दर्ज है कि लोहे की रॉड, डंडों और डंडियों से दोनों को पीटा गया। हमलावरों ने उनकी जेब से मोबाइल फोन और पैसे भी लूट लिए। चोटिल अकील को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जिसके चलते शिकायत दर्ज कराने में देर हुई।

पुलिस का बयान और फॉरेंसिक जांच

पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अमृत जैन ने एक वीडियो में बताया कि पुलिस मौके पर पहुंची और चारों लोगों को भीड़ से बचाकर अस्पताल पहुंचाया। मीट को ज़ब्त कर जांच के लिए भेज दिया गया है। पुलिस ने पुष्टि की है कि गाड़ी के सभी दस्तावेज़, जिनमें पशु कटान से संबंधित कागज़ात भी शामिल हैं, वैध पाए गए हैं।

बजरंग दल का दावा और सच्चाई

स्थानीय बजरंग दल नेताओं ने दावा किया कि यही वाहन पहले भी “ग़ैरक़ानूनी मीट” लेकर पकड़ा गया था। हालांकि पुलिस ने साफ़ किया कि वाहन में भैंस का मीट था और कागज़ात पूरे थे।

बीजेपी नेताओं पर गंभीर आरोप

FIR में नामज़द आरोपियों में विहिप नेता रामकुमार आर्य और बीजेपी नेता अर्जुन सिंह उर्फ भोला शामिल हैं। इन पर न सिर्फ मारपीट और रंगदारी मांगने, बल्कि लूट और गाड़ी जलाने के संगीन आरोप हैं।

मानवाधिकारों पर हमला

यह घटना न सिर्फ सांप्रदायिक हिंसा का प्रतीक है, बल्कि देश के कानून और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भी सीधा हमला है। भीड़ के सामने प्रशासन की चुप्पी और मूकदर्शक भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

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