नई दिल्ली, 27 मई 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम में कथित फर्ज़ी पुलिस एनकाउंटर मामलों की जांच को लेकर बेहद अहम निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने असम मानवाधिकार आयोग (Assam Human Rights Commission – AHRC) को स्पष्ट तौर पर आदेश दिया कि वह राज्य में हुए 171 कथित फर्ज़ी मुठभेड़ों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच करे, ताकि इस पूरे मामले को “तार्किक निष्कर्ष” तक पहुंचाया जा सके।
क्या है मामला?
यह आदेश एक याचिका के तहत पारित किया गया जिसमें आरोप लगाया गया था कि असम राज्य में बड़े पैमाने पर फर्ज़ी पुलिस मुठभेड़ें हो रही हैं, और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा PUCL बनाम महाराष्ट्र राज्य (PUCL v. State of Maharashtra) केस में जारी किए गए दिशा-निर्देशों की भी गंभीर अवहेलना की जा रही है। PUCL मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ों की जांच को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए थे, ताकि ऐसी घटनाओं में पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और एन.के. सिंह की पीठ ने 12 जनवरी 2022 को AHRC द्वारा पारित उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें आयोग ने मामले को बंद करने का निर्णय लिया था। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि “राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड खुद यह दर्शाते हैं कि कुछ मामलों में आगे जांच की आवश्यकता हो सकती है, ताकि यह तय हो सके कि PUCL दिशा-निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन हुआ या नहीं।”
अदालत के अन्य अहम निर्देश
असम मानवाधिकार आयोग को अब दोबारा इस मुद्दे को अपने बोर्ड पर लाकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करनी होगी। पीड़ितों, उनके परिजनों और गवाहों की पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयोग को विशेष कदम उठाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Assam State Legal Services Authority) को यह निर्देश भी दिया कि जरूरतमंदों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए।
याचिकाकर्ता की दलील
इस याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने यह तर्क दिया कि पिछले कई वर्षों से असम में PUCL दिशा-निर्देशों का व्यापक और लगातार उल्लंघन हो रहा है। ये दिशा-निर्देश न सिर्फ मुठभेड़ों में हुई मौतों पर, बल्कि गंभीर रूप से घायल होने वाले मामलों पर भी लागू होते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया गया था कि ऐसे हर मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जानी चाहिए। लेकिन असम में उलटा हो रहा है — पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बजाय, पीड़ितों के खिलाफ ही मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
क्या हैं PUCL दिशा-निर्देश?
2006 में PUCL बनाम महाराष्ट्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ों से जुड़े मामलों में पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिए कुछ सख्त नियम तय किए थे, जैसे:
घटना के बाद एफआईआर दर्ज होना अनिवार्य
मुठभेड़ की स्वतंत्र एजेंसी से जांच
मजिस्ट्रेटी जांच और पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी
पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा
NHRC को रिपोर्टिंग करना
इन नियमों का पालन ना करना गंभीर लापरवाही माना जाता है।