शुक्रवार को इसराइल ने ईरान पर बड़ा हमला किया, जिसके बाद पूरे मध्य-पूर्व में हालात और ज़्यादा बिगड़ गए हैं। कतर, सऊदी अरब, ओमान, तुर्की, इराक, कुवैत और पाकिस्तान जैसे देशों ने इस हमले की खुलकर निंदा की है।
ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक, इन हमलों में 78 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। इसराइल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में ईरान ने भी इसराइली ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया है।
कतर की सख्त प्रतिक्रिया
कतर ने इस हमले को ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया और कहा कि इससे क्षेत्रीय और वैश्विक शांति को खतरा है।
कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसराइल को अगर रोका नहीं गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सऊदी अरब ने जताई चिंता
सऊदी अरब ने हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
साथ ही उन्होंने यह जानकारी भी दी कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच इस मुद्दे पर बात हुई है, जिसमें शांति के लिए कूटनीति अपनाने पर सहमति बनी है।
ओमान और कुवैत भी विरोध में
ओमान ने कहा कि ये हमला स्थिरता और शांति के खिलाफ़ है और इससे अमेरिका-ईरान के बीच चल रही बातचीत पर असर पड़ेगा।
कुवैत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इसराइल को रोकने की अपील की है और कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है।
तुर्की और इराक की तीखी प्रतिक्रिया
तुर्की ने इस हमले को “उकसावे वाली कार्रवाई” बताया और कहा कि नेतन्याहू सरकार कूटनीति से कोई हल नहीं चाहती।
इराक सरकार ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और UN चार्टर के खिलाफ बताया और सुरक्षा परिषद से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
पाकिस्तान ने भी जताया विरोध
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इसराइल की कार्रवाई को “गैर-ज़िम्मेदाराना और गंभीर” बताया।
उन्होंने कहा कि इससे मध्य-पूर्व में और अशांति फैल सकती है और संयुक्त राष्ट्र को तुरंत कदम उठाना चाहिए।
अब आगे क्या हो सकता है?
इसराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से पूरे क्षेत्र में संघर्ष गहरा सकता है।
कई जानकार मानते हैं कि अगर हालात जल्दी नहीं संभाले गए, तो यह मामला सीमित युद्ध से निकलकर बड़े संघर्ष में बदल सकता है।