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मदुरै में मुरुगन भक्त सम्मेलन, लाखों की भीड़ जुटी

तमिलनाडु के मदुरै में रविवार को हिंदू मुन्‍नानी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसे हिंदुत्व संगठनों द्वारा मुरुगन भक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लाखों लोग शामिल हुए। यह सम्मेलन कई महीनों से चल रहे उस अभियान की परिणति था, जिसमें आयोजकों ने थिरुप्परांकुंद्रम की पहाड़ी को पूरी तरह हिंदू नियंत्रण में लेने की मांग की। आयोजकों ने इसे “दक्षिण का अयोध्या आंदोलन” बताया।

‘जय श्री राम’ नहीं, ‘मुरुगनुक्कु आरो हरा’ के नारे

इस बार कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ की जगह पर “मुरुगनुक्कु आरो हरा” और “वेत्रिवेल वीरेवेल” जैसे नारों का जोर रहा। सम्मेलन में BJP नेता अन्नामलाई और आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण भी शामिल हुए और उन्होंने तेज भाषण दिए।

योगी आदित्यनाथ के पोस्टर, लेकिन वे नहीं आए

हालाँकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन पूरे मंच पर उनके बड़े-बड़े पोस्टर लगे थे। मद्रास हाई कोर्ट ने अनुमति दी थी कि कार्यक्रम में कोई राजनीतिक भाषण नहीं होगा, लेकिन फिर भी नेताओं ने अपने भाषणों में राजनीतिक बातें कहीं।

अन्नामलाई का व्यंग्य – ‘स्वामी बनाम निधि’

पूर्व तमिलनाडु BJP प्रमुख अन्नामलाई ने DMK पार्टी और युवा नेता उदयनिधि स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा,
“लोगों ने ‘स्वामी’ को चुना है, ‘निधि’ को नहीं”, जिस पर वहां मौजूद लोगों ने जोरदार तालियाँ बजाईं।

उन्होंने भारत के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष की तुलना इसराइल के वेस्ट एशिया युद्ध से की और आरोप लगाया कि देश के कुछ नेता राष्ट्रहित को नजरअंदाज कर रहे हैं।

सम्मेलन में 6 प्रस्ताव पास, हिंदू एकता पर जोर

सम्मेलन में 6 अहम प्रस्ताव पास किए गए, जिनमें शामिल थे:

  • हिंदू समाज की एकता बनाए रखना
  • थिरुप्परांकुंद्रम की पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम जलाना
  • मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण हटाना
  • धर्म परिवर्तन रोकने की शपथ लेना

RSS नेता ने छुआछूत को बताया पाप

RSS के वन्नियाराजन ने कहा कि हिंदू समाज में फैली अछूत प्रथा (छुआछूत) एक पाप है और इसे खत्म करना जरूरी है। उन्होंने कहा,

“मंदिर, श्मशान और तालाब – सभी जगह हर जाति के लोगों के लिए खुले होने चाहिए।”

थिरुप्परांकुंद्रम विवाद की पृष्ठभूमि

यह सम्मेलन तब हुआ जब थिरुप्परांकुंद्रम की पहाड़ी पर तनाव पहले से बढ़ा हुआ है।
फरवरी 2025 में, दक्षिणपंथी समूहों ने आरोप लगाया था कि वहां स्थित सिकंदर दरगाह और कुछ मुस्लिम त्योहारों की वजह से पहाड़ी को “सिकंदर मलाई” कहा जाने लगा है, जो हिंदू आस्था के खिलाफ है।

AIADMK नेताओं की पहली बार मंच पर मौजूदगी

भले ही AIADMK पार्टी ने आधिकारिक रूप से इस सम्मेलन का समर्थन नहीं किया, लेकिन उसके पाँच पूर्व मंत्री – आरबी उदयकुमार, सेल्लूर राजू, कडम्बूर राजू, केटी राजेन्द्र बालाजी और वीवी राजन चेल्लप्पा – RSS, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू मुन्‍नानी के साथ मंच पर नजर आए।

यह इस बात का संकेत है कि AIADMK की राजनीतिक दिशा बदल रही है और वह अब हिंदुत्व संगठनों के करीब आ रही है।

DMK और सहयोगी दलों की आलोचना

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), VCK और CPI(M) जैसे तमिलनाडु के सत्तारूढ़ गठबंधन ने सम्मेलन की आलोचना की है। उनका कहना है कि संघ परिवार मुरुगन देवता को ‘हिंदुत्व राजनीति’ में घसीट रहा है, जबकि मुरुगन तमिल संस्कृति का प्रतीक हैं।

पवन कल्याण का बयान – “हिंदू क्यों चुप रहे?”

पवन कल्याण ने अपने भाषण में पासुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर को भगवान मुरुगन का अवतार बताया।
उन्होंने सवाल उठाया –

“एक मुसलमान को मुस्लिम होने पर गर्व है, एक ईसाई को अपने धर्म पर गर्व है,
तो जब कोई हिंदू अपनी पहचान दिखाता है, तो क्यों दिक्कत होती है?”

निष्कर्ष: मुरुगन की आस्था पर अब राजनीति का साया

इस पूरे आयोजन ने साफ कर दिया कि अब मुरुगन की भक्ति सिर्फ धार्मिक आस्था का विषय नहीं रह गई है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण और सांस्कृतिक टकराव भी उभर रहे हैं।
यह सम्मेलन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि दक्षिण भारत की राजनीति का नया मोड़ बन सकता है।

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