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इज़रायली रक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा: ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई को मारने की थी योजना

इज़रायल के रक्षा मंत्री ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि उनकी सेना ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाकर मारने की पूरी योजना तैयार की थी, लेकिन सही मौका नहीं मिलने की वजह से उसे अंजाम नहीं दिया जा सका। यह बयान ऐसे वक्त आया है जब हाल ही में इज़रायल और ईरान के बीच युद्धविराम लागू हुआ है।

रक्षा मंत्री ने यह जानकारी इज़रायल के तीन प्रमुख टीवी चैनलों को दिए एक साक्षात्कार में साझा की। उन्होंने कहा कि इज़रायल की सेना ने खामेनेई को मारने की रणनीति पूरी तरह से तय कर ली थी। “हमने अपने खुफिया और सैन्य स्तर पर सभी तैयारियां कर ली थीं, लेकिन हालात ऐसे नहीं बने कि हम इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे पाते,” मंत्री ने कहा।

यह बयान उस समय आया है जब पश्चिम एशिया में इज़रायल और ईरान के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है। हालिया युद्ध में दोनों देशों के बीच भीषण हवाई हमले और मिसाइल हमलों का सिलसिला चला, जिसमें भारी जनहानि हुई। हालांकि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद युद्धविराम लागू किया गया, लेकिन दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई जस की तस बनी हुई है।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि खामेनेई को निशाना बनाने का फैसला ईरान की “आक्रामक नीतियों” और इज़रायल की सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया था। “हमारे सामने ईरान से सबसे बड़ा खतरा खामेनेई और उसकी कट्टर विचारधारा है। अगर हमें मौका मिलता, तो हम कार्रवाई जरूर करते,” उन्होंने दोहराया।

ईरान की तरफ से इस खुलासे पर तुरंत कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ईरानी मीडिया ने इस बयान को एक “खतरनाक धमकी” करार दिया है। तेहरान के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बयान से क्षेत्र में फिर से तनाव बढ़ सकता है और युद्धविराम टूटने का खतरा भी खड़ा हो सकता है।

गौरतलब है कि ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई पिछले कई दशकों से पश्चिम एशिया की राजनीति में बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। वह न केवल ईरान की सेना और राजनैतिक निर्णयों के प्रमुख हैं, बल्कि उन्हें शिया दुनिया में एक बड़े धार्मिक नेता का दर्जा भी प्राप्त है।

इज़रायल और ईरान के बीच वर्षों से चल रहा शत्रुतापूर्ण रिश्ता हाल ही में और उग्र हुआ जब गाजा और लेबनान में इज़रायली ठिकानों पर ईरान समर्थित गुटों ने कई हमले किए। इसके जवाब में इज़रायल ने ईरान की कई ठिकानों पर हमले किए और यह संघर्ष बड़े युद्ध में बदलता दिखा।

रक्षा मंत्री के ताजा बयान से साफ है कि इज़रायल किसी भी स्तर पर ईरान की शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाने से नहीं हिचकेगा, अगर उसे अपनी सुरक्षा के लिए यह जरूरी लगे। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के मुताबिक, इस तरह के बयानों का असर सिर्फ ईरान-इज़रायल पर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता पर पड़ सकता है।

फिलहाल युद्धविराम लागू है, लेकिन दोनों देशों में जो गहरी दुश्मनी है, उसे देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि यह शांति कितने दिन टिकेगी। क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियां हालात पर नजर बनाए हुए हैं ताकि कोई नई बड़ी लड़ाई न छिड़ जाए।

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