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बेंगलुरु यूनिवर्सिटी में भेदभाव का आरोप, 10 दलित प्रोफेसरों ने प्रशासनिक जिम्मेदारियों से दिया इस्तीफा

बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के कम से कम 10 दलित प्रोफेसरों ने अपनी अतिरिक्त प्रशासनिक जिम्मेदारियों से इस्तीफ़ा दे दिया है। इन प्रोफेसरों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।

‘इन-चार्ज’ पद देकर अधिकार छीने जा रहे हैं

प्रोफेसरों का आरोप है कि पहले उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ महत्वपूर्ण प्रशासनिक जिम्मेदारियां दी जाती थीं, लेकिन अब उन्हें सिर्फ़ “इन-चार्ज” के पद दिए जा रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा करके उनके अधिकार सीमित किए जा रहे हैं।

छुट्टियों के लाभ भी नहीं दिए जा रहे

प्रोफेसरों ने यह भी कहा कि इन अतिरिक्त जिम्मेदारियों के बदले जो अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) मिलती हैं, वो भी यूनिवर्सिटी द्वारा रोक दी गई हैं। उन्होंने कई बार इस बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन से बात की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

प्रोफेसरों का पत्र

प्रोफेसरों ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार (प्रशासन) को एक पत्र लिखा। उसमें कहा गया, “जब हमें अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी जाती हैं, तो सिर्फ़ ‘इन-चार्ज’ कहा जाता है और अर्जित छुट्टियों का लाभ भी नहीं दिया जाता। बार-बार कहने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए हम सब अपनी अतिरिक्त जिम्मेदारियों से इस्तीफ़ा दे रहे हैं।”

कौन-कौन प्रोफेसर शामिल हैं?

इस्तीफ़ा देने वालों में शामिल हैं:

  • प्रो. सी. सोमशेखर (अंबेडकर रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर)
  • नागेश पीसी (डायरेक्टर, स्टूडेंट वेलफेयर)
  • सुधेश वी (पीएम-उषा कोऑर्डिनेटर)
    मुरलीधर बीएल (डायरेक्टर, डिस्टेंस एजुकेशन एंड ऑनलाइन एजुकेशन सेंटर)

अब आगे क्या होगा?

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन दलित प्रोफेसरों के इस सामूहिक कदम से यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।

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