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बिहार में 70,877 करोड़ का घोटाला? कांग्रेस का नीतीश सरकार पर बड़ा आरोप

बिहार की राजनीति में बुधवार को हलचल मच गई जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर 70,877 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का आरोप लगाया। यह आरोप हाल ही में जारी कैग (CAG) रिपोर्ट के आधार पर लगाया गया है।

खेड़ा ने पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह सिर्फ राज्य स्तर का घोटाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का घोटाला है, क्योंकि इसमें केंद्र सरकार से मिले फंड का भी दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की 10 बड़ी विभागों ने यूटीलीजेशन सर्टिफिकेट्स (UCs) जमा नहीं किए हैं। इसका मतलब है कि यह साबित नहीं हो पाया है कि फंड का सही इस्तेमाल हुआ या नहीं।

विभागवार आंकड़े

खेड़ा ने कैग रिपोर्ट के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि –

  • पंचायती राज विभाग: ₹28,154 करोड़
  • शिक्षा विभाग: ₹12,623 करोड़
  • शहरी विकास: ₹11,065 करोड़
  • ग्रामीण विकास: ₹7,800 करोड़
  • कृषि: ₹2,107 करोड़
  • अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण: ₹1,397 करोड़
  • सामाजिक कल्याण: ₹941 करोड़
  • पिछड़ा व अति पिछड़ा कल्याण: ₹911 करोड़
  • स्वास्थ्य: ₹860 करोड़
  • सहकारी विभाग: ₹804 करोड़

इन विभागों ने UCs जमा नहीं किए, जिससे फंड के उपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

“50% कमीशन का खेल चल रहा है” – कांग्रेस

पवन खेड़ा ने दावा किया कि बिहार में भ्रष्टाचार संस्थागत रूप ले चुका है। उन्होंने कहा, “यहां मंत्रियों, अफसरों और कर्मचारियों का 50% कमीशन तय है। कैग की रिपोर्ट साफ बताती है कि पैसे का इस्तेमाल नहीं हुआ या कहीं और कर दिया गया।”

खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले पांच सालों में बिहार सरकार अपने ही राज्य बजट का ₹3,59,667 करोड़ खर्च नहीं कर पाई, जबकि राज्य में बेरोजगारी, पलायन, खराब शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसी बड़ी समस्याएँ बनी हुई हैं।

केंद्र सरकार पर भी सवाल

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को भी इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं कर रही। “केंद्र फंड भेज रहा है, लेकिन हिसाब मांगने में नाकाम है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत है,” खेड़ा ने आरोप लगाया।

सरकार का जवाब

वहीं एनडीए सरकार ने इस मुद्दे को “रूटीन अकाउंटिंग मामला” बताते हुए आरोपों को खारिज कर दिया है। लेकिन विपक्ष ने इसे चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है।आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह घोटाले का मुद्दा एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर सकता है।

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