बिहार के बलिया ज़िले में वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम पर पुलिस ने केस दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की रिपोर्टिंग करते हुए प्रशासनिक काम में बाधा डाली और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की। यह घटना 12 जुलाई को बलिया के साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र की है, जब अजीत अंजुम अपने टीम के साथ एक मतदान केंद्र पर रिपोर्टिंग के लिए पहुंचे थे।
क्या है मामला?
मतदान केंद्र के बूथ लेवल अफसर (BLO) मोहम्मद अंसारुल हक़ की शिकायत के अनुसार,अंजुम बिना अनुमति सुबह करीब 9:30 बजे ब्लॉक ऑडिटोरियम में घुसे। उन्होंने BLO से यह पूछा कि कितने मुस्लिम वोटरों को फॉर्म मिला और कितनों ने फॉर्म जमा किया।अधिकारी का आरोप है कि अंजुम की बातों से ऐसा लगा जैसे मुस्लिम वोटरों को परेशान किया जा रहा हो, जबकि ऐसा नहीं है।BLO ने कहा कि अंजुम की टीम ने एक घंटे तक उनका काम रोका और वो फॉर्म अपलोड नहीं कर पाए।
किस-किस धारा में केस दर्ज हुआ है?
बिहार पुलिस ने अजीत अंजुम पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है:
- आपराधिक अनधिकार प्रवेश (Criminal Trespass)
- सरकारी काम में बाधा डालना (Obstruction of Government Work)
- धार्मिक भावनाएं आहत करने की कोशिश (Hurting Religious Sentiments)
- चुनाव कानून (Representation of the People Act, 1951) का उल्लंघन
अजीत अंजुम का जवाब
अजीत अंजुम ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है:“मैंने किसी की पहचान उजागर नहीं की, कोई फॉर्म क्लोज़-अप में नहीं दिखाया। मैं बस ये दिखा रहा था कि चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जो लोग गड़बड़ी सुधारने की बजाय सवाल पूछने वालों पर केस कर रहे हैं, वो लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। लेकिन मैं दबाव में झुकने वाला नहीं।”
कौन हैं अजीत अंजुम?
अजीत अंजुम देश के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक हैं।वह लंबे समय तक टीवी मीडिया में काम कर चुके हैं और अब एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं, जहाँ वे सरकार, समाज और लोकतंत्र से जुड़े मुद्दों पर बेबाक रिपोर्टिंग करते हैं।वे अक्सर सत्ता पक्ष की आलोचना करते हैं और “जनता के सवाल” को सामने लाते हैं।
निष्कर्ष:
इस मामले ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।क्या अब सच दिखाना भी अपराध है?क्या सत्ता की गड़बड़ियों पर उंगली उठाने वाला पत्रकार अब जेल भेजा जाएगा?