6 और 7 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की. भारत ने इस ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा. भारत का कहना है कि यह हमला आतंकवादी ठिकानों पर किया गया है. इसके बाद से लगातार भारतीय मीडिया अपनी कवरेज कर रहा है. हर चैनल पर
सिर्फ यहीं बात हो रही है कि कैसे एयर स्ट्राइक में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया. कैसे जैश के आतंकियों को ढेर किया गया. इसी बीच न्यूज़ चैनल पर एक नाम तेजी से सुनाई दे रहा होगा कारी मोहम्मद इकबाल.जिन्हें जैशे आतंकवादी कहा जा रहा है. लेकिन यहां पर सवाल खड़ा होता है कि सच्चाई क्या है? दरअसल सोशल मीडिया कारी इकबाल को लेकर बहुत सारे दावे किए जा रहे हैं कि वे एक टीचर हैं? पुंछ के रहने वाले थें? लोगों का कहना है कि भारतीय मीडिया हर बार की तरह उन्हें लेकर गलत जानकारी दे रहा हैं. आखिर इन दावों की क्या है सच्चाई, आइए जानते हैं.
कई टीवी चैनल ने बताया आतंकवादी
दरअसल, कई टीवी चैनल इस फेहरिस्त में शामिल हैं. जो कारी इबकाल के जैश का आतंकी होने का दावा कर रहे हैं. इसमें न्यूज़ 18, आर भारत, सीएनएन न्यूज़, और जी न्यूज़ शामिल हैं. लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि कारी मुहम्मद इक़बाल पूंछ में जामिया जिया-उल-उलूम के एक टीचर थे और बैला में रहते थे, मंगलवार को पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी में मारे गए थे. स्थानीय अधिकारियों ने उनकी मौत की जानकारी दी.

पेशे की जानकारी
कारी इक़बाल ने पूंछ के जामिया जिया-उल-उलूम के मदरसे में कई साल बिताए. कारी इक़बाल एक अच्छे इस्लामी जानकार थे. उनका नाम मुस्लिम उलेमा की लिस्ट में भी है, जिससे पता चलता है कि लोग उन्हें धर्म का जानकार मानते थे. वहीं, बैला में रहने वाले एक आदमी ने कहा कि वह एकदम सीधे-साधे थे और उन्हें आतंकवादी कहना गलत है। जबकि इसे लेकर उनके परिवार का कहना है कि गोदी मीडिया हमारे भाई को आतंकवादी कह रही है दो बिल्कुल सही नहीं है.

जामिया जिया-उल-उलूम पूंछ
अब जानते हैं उस मदरसे के बारे में जहां इकबाल काम किया करते थें. जामिया जिया उल उलूम पूंछ में 1974 में शुरू हुआ था। यह सिर्फ एक मदरसा नहीं है, बल्कि यह इस्लामी और आजकल की पढ़ाई दोनों करवाता है. यहाँ लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए पढ़ाई होती है. 2014 में जब बाढ़ आई थी, तब इस संस्थान ने लोगों की मदद की थी, और धार्मिक तौर पर भी इसकी बहुत इज़्ज़त है. इस मदरसे की टीम ने 26 जनवरी की परेड में भी शामिल हुई थी और उन्होंने 2015 में इनाम भी जीता था. यह सब देखकर नहीं लगता कि इस मदरसे का कोई टीचर लश्कर का आतंकवादी हो सकता है. आतंकवादी तो छिपकर काम करते हैं और उनके बड़े लोग ऐसे जाने-माने स्कूल में खुलेआम नहीं पढ़ाएंगे जो देश के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और लोगों की मदद करते हैं.

मीडिया ने झूठी रिपोर्टिग कैसे शुरू की
कारी मोहम्मद इक़बाल नाम का लश्कर का एक आदमी कोटली में मरा गया. कुछ लोग कहते हैं वही पुलवामा हमले का “सबसे बड़ा” मास्टरमाइंड था. लेकिन कुछ कहते हैं कि वह सिर्फ ट्रेनिंग देता था. वह असली नेता नहीं था. लश्कर के बड़े अफसरों की लिस्ट में उसका नाम नहीं है. खबरें बताती हैं कि कोटली का यह आतंकी पूंछ के टीचर से अलग है.
ऊपर दी गई बातों से यह समझ आता है कि भारतीय मीडिया ने शायद एक ही नाम के दो अलग-अलग लोगों को मिला दिया. एक कारी इक़बाल पूंछ के मदरसे में टीचर थे और दूसरे कारी मोहम्मद इक़बाल पाकिस्तान के कोटली में एक आतंकवादी संगठन से जुड़े थे. मीडिया ने जल्दी में बिना ठीक से जाँच किए खबर चला दी कि पूंछ के टीचर ही आतंकवादी थे, जो कि सही नहीं लगता. क्योंकि टीचर एक जाने-माने स्कूल में काम करते थे और वह स्कूल लोगों की मदद भी करता था और देश के कार्यक्रमों में भी शामिल होता था. इसलिए, यह लगता है कि मीडिया ने गलती की और एक बेगुनाह टीचर को आतंकवादी बता दिया.