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गाज़ा संकट: इज़रायल ने अल-अवदा अस्पताल बंद कराया, मरीज और डॉक्टर फंसे

गुरुवार को इज़रायल ने उत्तरी गाज़ा के तल अल-ज़ातार इलाके में स्थित अल-अवदा अस्पताल को बंद करने का आदेश दिया। यह उत्तरी गाज़ा का आखिरी अस्पताल था जो काम कर रहा था। इस फैसले के चलते कई मरीजों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को दूसरी जगह भेजा गया है ।

भारी बमबारी और भुखमरी के बीच अस्पताल बना निशाना

लगातार बमबारी हो रही है, जबरन विस्थापन और भोजन की भारी कमी के बीच, यहां हालात बेहद खराब हैं, और अस्पताल की बंदी से लोगों की जान बचाने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई नाराज़गी

गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इज़रायल की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ लगातार हो रहे हमलों का हिस्सा है। मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों के तहत स्वास्थ्य प्रणाली की सुरक्षा की मांग की है।

WHO की टीम पर भी हुआ हमला

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम जब अल-अवदा अस्पताल पहुँची, तो उन्हें भी गोलाबारी और बम धमाकों का सामना करना पड़ा। टीम ने 57 लोगों को सुरक्षित निकाला, जिनमें 9 गंभीर मरीज थे। हालांकि अब भी 6 मरीज और 70 स्वास्थ्यकर्मी अंदर फंसे हुए हैं।

बिना खाना-पानी के फंसे लोग

टीम को एक विकलांग व्यक्ति भी मिला, जो अस्पताल के पास बिना भोजन, पानी और किसी सहारे के फंसा हुआ था। यह स्थिति वहां के गंभीर मानवीय संकट को दर्शाती है।

मेडिकल गोदाम जलकर राख, दवाओं की भारी कमी

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि लगातार हो रही हमलों के कारण अस्पताल का मेडिकल गोदाम जल गया, जिससे अस्पताल में जरूरी दवाओं और उपकरणों की भारी कमी हो गई है।

अब उत्तरी गाज़ा में कोई अस्पताल नहीं बचा

WHO ने चेतावनी दी है कि अल-अवदा की बंदी के बाद अब उत्तरी गाज़ा में कोई भी काम करने वाला अस्पताल नहीं बचा है, जिससे लाखों लोगों की जान को खतरा है।

विस्फोटक से लदे रोबोट और गोलाबारी

WAFA न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इज़रायली सेना ने अस्पताल के पास विस्फोटक से लदे रोबोट का इस्तेमाल किया और भारी गोलाबारी भी की। इससे अस्पताल की इमारत और इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह प्रभावित हो गया।

अब तक 1,400 से अधिक मेडिकल कर्मियों की मौत

गाज़ा के अस्पतालों पर हो रहे हमलों में अब तक 1,400 से ज्यादा डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी मारे जा चुके हैं। कई मरीज और आम नागरिक, जो अस्पतालों में शरण लिए हुए थे, भी इन हमलों का शिकार बने हैं।

WHO की अपील: “अस्पतालों को निशाना बनाना बंद हो”

WHO ने दो टूक कहा है –

“अस्पतालों पर हमला नहीं होना चाहिए। न ही उन्हें सैन्य ज़ोन बनाया जाना चाहिए। आम नागरिकों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सीज़फायर ज़रूरी है।”

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