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गाजा दाने-दाने को मोहताज, मदद के नाम पर सियासत

गाजा में 1 साल, 7 महीने और 3 हफ्ते से जंग चल रही है. ऐसे में वहां के लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है. मदद करने वालों के जरिए ही वहां के लोग खाना खा पा रहे हैं.  इजराइल तमाम मदद को गाजा में जाने से रोकने की पूरी कोशिश करता है. ऐसे में एक संस्था है जो गाजा के लोगों की मदद करने के लिए आगा आया. इस संस्था का नाम है ह्यूमनेटेरियन फ़ाउंडेशन (जीएचएफ़).  हालांकि एक संस्था को अमेरिका और इजराइल का समर्थन हासिल है. इस संगठन ने दक्षिणी ग़ज़ा में अपना काम शुरू किया। उनका मकसद संयुक्त राष्ट्र को दरकिनार करते हुए सीधे ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचाना था. 

भीड़ पर काबू पाने के लिए गोली चलाई

जैसे ही खाने बांटने का काम शुरू किया गया. वैसे ही काफी सारे फिलिस्तीनी खाना लेने के लिए पहुंचे. भीड़ इतनी बढ़ गई कि कर्मचारियों को काबू पाना मुश्किल हो गया. और उन्होंने  गोलियां तक चला दी. हालांकि इससे पहले जीएचएफ़ पहले कहा चुका है कि उनके ट्रकों से ग़ज़ा में खाना पहुँच गया है और बँटने का काम भी शुरू हो गया है, पर यह नहीं बताया कि कहाँ और कितना। 

अब तक कितना  काम किया कोई जानकारी नहीं 

हालांकि, कहा ये जाता है कि यूएन और दूसरी मदद करने वाली संस्थाएं जीएचएफ़ के साथ काम नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि जीएचएफ़ का तरीका सही नहीं है और वे ‘मदद को हथियार’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि,  जीएचएफ़ का कहना है कि उन्होंने ग़ज़ा में काम शुरू किया है, कुछ तस्वीरें भी दिखाईं जिनमें लोग पेटियां ले जा रहे हैं। लेकिन बीबीसी कि खबर के मुताबिक, उन्होंने इसकी कोई जानकारी नहीं दी कितनी मदद आई और कितने लोगों को मिली.

यूएन और दूसरी संस्थाएं जीएचएफ़ के मदद बाँटने के तरीके से सहमत नहीं हैं। जीएचएफ़ में मदद लेने वालों की जाँच होती है, फिर उन्हें खाना और ज़रूरी सामान मिलता है। उनके सेंटर ज़्यादातर दक्षिण ग़ज़ा में हैं और प्राइवेट गार्डों और इसराइली सैनिकों से घिरे हैं।

दूसरी संस्थाएं नहीं देंगी जीएचएफ़ का साथ

यूएन और दूसरी संस्थाओं का कहना है कि वे ऐसी किसी भी मदद में साथ नहीं देंगे जो सही तरीके से नहीं हो रही। उनका मानना है कि जीएचएफ़ का सिस्टम उन लोगों को मदद नहीं दे पाएगा जो सेंटरों तक नहीं पहुँच सकते, जैसे बूढ़े और घायल लोग। आलोचकों को लगता है कि इससे लोग और विस्थापित होंगे और यह संगठन मदद के बदले कुछ चाहता है।

उनका कहना है कि उनकी बहुत सी गाड़ियाँ ग़ज़ा के बाहर खड़ी हैं और उनके पास लोगों तक ठीक से मदद पहुँचाने की योजना है। नॉर्वेजियन रिफ़्यूजी काउंसिल ने कहा कि जीएचएफ़ सेना और राजनीति से जुड़ा है और निष्पक्ष नहीं है।

हमास ने मदद लेने से किया इंकार

इस बीच, हमास ने लोगों से जीएचएफ़ से मदद न लेने को कहा है। हमास का कहना है कि यह संगठन गड़बड़ी पैदा करेगा और भोजन को हथियार की तरह इस्तेमाल करेगा। लेकिन जीएचएफ़ ने हमास के इस बयान की निंदा की है और कहा है कि हमास उनके काम में बाधा डाल रहा है और लोगों को मदद लेने से रोक रहा है।

लाखों लोग भुखमरी का शिकार 

इसराइल ने 2 मार्च को गाजा में मदद रोक दी थी, फिर हमास से लड़ाई शुरू कर दी। इसराइल का कहना है कि वह अपने बंधकों को छुड़ाना चाहता है। नेतन्याहू चाहते हैं कि उनकी सेना ग़ज़ा के सभी इलाकों पर कब्ज़ा कर ले और उत्तरी ग़ज़ा के लोगों को दक्षिण में भेज दे। अमेरिका के दबाव के बाद इसराइल ने थोड़ी मदद भेजने की बात कही है, और कुछ ट्रक भेजे भी हैं। लेकिन यूएन का कहना है कि यह मदद बहुत कम है और गाजा में लाखों लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इसराइल ने गाजा पर हमला किया, जिसमें अब तक हज़ारों लोग मारे गए हैं।

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