7 मई को भारतीय सेना द्वारा शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर अब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ बन गया है। भारत ने यह ऑपरेशन कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया, जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था। भारत ने दावा किया है कि इस स्ट्राइक के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों के 9 ठिकानों को नष्ट किया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़
इस सैन्य कार्रवाई पर भारत के भीतर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं काफी तीखी और विविध रही हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस ऑपरेशन को “भारत का न्यायोचित और अनुपातिक जवाब” बताते हुए कहा कि “देश को अपने नागरिकों की सुरक्षा का हक है।” हालांकि उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से हुई जवाबी गोलीबारी की आलोचना की, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऑपरेशन का स्वागत करते हुए कहा, “पाकिस्तानी डीप स्टेट को कड़ा सबक मिलना ज़रूरी है ताकि फिर कोई पहलगाम न हो।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और लिखा, “Proud of our Armed Forces. Jai Hind!”
वहीं शशि थरूर ने इसे “calibrated, calculated, precise strikes” बताते हुए कहा कि यह वही रणनीति है जिसका उन्होंने हाल ही में समर्थन किया था – “Hit hard, hit smart”।
भारतीय सेना का रुख – आतंक के खिलाफ सटीक वार
भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई “सटीक और रणनीतिक” थी और इसका मकसद सिर्फ आतंकी ढांचे को खत्म करना था, ना कि आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाना।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया – आरोप और जवाबी हमला
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ऑपरेशन को “बिना उकसावे की आक्रामकता” बताया और चेतावनी दी कि पाकिस्तान इसका जवाब “पूरी ताकत से” देगा। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर जवाबी गोलीबारी की, इस गोलीबारी के बाद सीमावर्ती इलाकों में तनाव और डर का माहौल बना हुआ है। दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।