Ashoka University के राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर, Ali Khan Mahmudabad को आज सुबह दिल्ली स्थित उनके निवास से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी का कारण हाल ही में उनकी सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी है, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर की गई थी। यह टिप्पणी उस वक्त सामने आई जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है और भारतीय सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय सैन्य अभियान चला रही है।
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर Ali Khan Mahmudabad की पोस्ट पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उनके अनुसार महिला सैनिकों — विशेष रूप से कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह — को लेकर अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया था। आयोग का यह भी आरोप है कि प्रोफेसर की टिप्पणी में “नरसंहार”, “अमानवीयता” और “पाखंड” जैसे शब्दों का प्रयोग कर न केवल सेना बल्कि सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया गया। आयोग ने इसे महिलाओं और देश की सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ “दुर्भावनापूर्ण और भ्रामक” बताया।
प्रोफेसर का बचाव: “यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है”
प्रोफेसर महमूदाबाद ने अपनी सफाई में कहा है कि उनकी टिप्पणियों को जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उनके अनुसार उनका उद्देश्य शांति, सोच और सार्वजनिक विमर्श को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा कि वे भारतीय सेना का सम्मान करते हैं और उनका संदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में था। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके वकील 14 मई को आयोग के समक्ष पेश हुए थे और स्पष्ट किया था कि उनकी पोस्ट में महिलाओं के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
आयोग की सख्ती और व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग
लेकिन हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने प्रोफेसर की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी। उन्होंने कहा कि केवल वकील के जरिए जवाब देना स्वीकार नहीं किया जाएगा और यदि वे स्वयं उपस्थित नहीं होते, तो आयोग कानूनी कार्रवाई करेगा। इसके बाद गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज़ की गई।
Ashoka University का बयान: “व्यक्तिगत राय, संस्थान की नहीं”
Ashoka University ने भी इस मामले में औपचारिक बयान जारी करते हुए कहा कि प्रोफेसर द्वारा सोशल मीडिया पर व्यक्त की गई राय व्यक्तिगत है और विश्वविद्यालय का उससे कोई लेना-देना नहीं है। विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट किया कि वह देश और उसकी सुरक्षा एजेंसियों के साथ खड़ा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षाविदों और सार्वजनिक बुद्धिजीवियों के बीच तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और अशोका यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अपर्णा वैदिक समेत कई शिक्षकों ने महमूदाबाद के समर्थन में खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अकादमिक आज़ादी पर हमला बताया है।