दिल्ली के ओखला गांव में बने कई रिहायशी मकानों पर बुलडोजर चलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को सख्त निर्देश दिए हैं कि खसरा नंबर 279 पर बने चार बीघे से अधिक अवैध निर्माण को कानून के मुताबिक ढहाया जाए। यह इलाका बाटला हाउस, ज़ाकिर नगर, खिजराबाद और तैमूर नगर जैसी मुस्लिम बहुल बस्तियों के पास है, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां शामिल थे, ने कहा कि “सरकारी जमीन पर कब्जा कानूनन गलत है। जो अवैध है, उसे वैध नहीं बनाया जा सकता।” कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि DDA और राज्य सरकार तीन महीने के भीतर ‘कंप्लायंस एफिडेविट’ दाखिल करें, यानी कि कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करें। साथ ही 15 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा ताकि प्रभावित लोग अपनी बात रख सकें।
कौन-सी ज़मीन पर है विवाद?
स्थान: खसरा नंबर 279, ओखला गांव
टोटल ज़मीन: लगभग 4 बीघा
अवैध निर्माण: 2 बीघा 10 बिसवा
PM-UDAY स्कीम के तहत: 1 बीघा 8 बिसवा (संभावित राहत)
यह ज़मीन सरकारी रिकॉर्ड में ‘सरकारी ज़मीन’ के रूप में दर्ज है और प्रशासन का दावा है कि इस पर धीरे-धीरे कब्ज़ा कर मकान बना लिए गए।
PM-UDAY योजना क्या है?
प्रधानमंत्री अवैध कॉलोनियों में आवास अधिकार योजना (PM-UDAY) की शुरुआत 2019 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी ताकि दिल्ली की लगभग 1,700 अवैध कॉलोनियों को मालिकाना हक़ दिया जा सके। लेकिन कोर्ट ने साफ किया है कि इस योजना के बाहर आने वाले निर्माण पर कोई राहत नहीं मिलेगी।
स्थानीय लोगों की चिंता
‘द ओखला टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय निवासी वैद, जो पास के सरकारी स्कूल में सफाई कर्मचारी हैं, कहते हैं: “हम यहाँ सालों से रह रहे हैं। अब कह रहे हैं हटाओ, पर कहीं बसाओ भी तो! हम गरीब आदमी कहाँ जाएंगे?” इलाके में डर और अनिश्चितता का माहौल है। लोगों को चिंता है कि अगली बारी उनकी हो सकती है।
चुनिंदा इलाकों में कार्रवाई पर सवाल
कुछ सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि ये कार्रवाइयाँ मुस्लिम बहुल इलाकों में केंद्रित हैं – जैसे कि खिजराबाद, ओखला, तैमूर नगर, ज़ाकिर नगर। हालांकि, कोर्ट का कहना है कि कानून सबके लिए समान है और अवैध निर्माण किसी भी धर्म या समुदाय के नाम पर नहीं बचाया जा सकता।
आगे क्या होगा?
DDA को तीन महीने में कार्रवाई करनी है।
प्रभावित लोगों को 15 दिन पहले नोटिस देना होगा।
जो लोग चाहें, कोर्ट में कानूनी दलील दे सकते हैं।