बिहार इन दिनों सिर्फ़ सियासत नहीं, सिसकियों की वजह से भी सुर्खियों में है। हाल ही में गोपालगंज के सिसई बाज़ार में एक 19 साल के लड़के, क़ैफ़ ख़ान, की दिनदहाड़े चाकुओं से हत्या कर दी गई। आरोपियों की पहचान पहले से ही परिवार को थी, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन न समय रहते पहुंचा, न सुरक्षा दे सका।
क़ैफ़ की कहानी — एक छात्र, जिसका सपना था घर संभालना
क़ैफ़ दसवीं का छात्र था। एक बेहद साधारण मुस्लिम परिवार से था, जो पढ़ाई में तेज़ और शांत स्वभाव का था। उसका सपना था कि पढ़ाई पूरी करके अपने परिवार की हालत सुधार सके। लेकिन 6 मई की शाम, वो सिसई बाज़ार में सामान लेने गया और कभी वापस नहीं आया।
सुनियोजित साजिश या पुराना झगड़ा?
परिवार के मुताबिक़, क़ैफ़ का कुछ महीने पहले बाबलू यादव, आशिष यादव और उनके साथियों से एक ऑर्केस्ट्रा कार्यक्रम को लेकर झगड़ा हुआ था। तभी से उसे लगातार धमकियां मिल रही थीं। घटना के दिन, पुलिस रिपोर्ट्स बताती हैं कि बाबलू यादव, हरेराम यादव और चार अन्य लोग एक होटल में मीटिंग कर रहे थे। जैसे ही क़ैफ़ बाज़ार पहुंचा, उसे घेर लिया गया और आठ बार चाकू मारे गए। उसके फेफड़े और दिल तक छलनी कर दिए गए।
इंसाफ़ मांगने आए परिवार पर ही केस
क़ैफ़ के भाई ने बताया कि उसने अपने छोटे भाई को उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। इसके बाद तीन हमलावरों को गिरफ्तार किया गया, बाकी फरार हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात ये रही कि घटना के बाद गुस्साए लोगों द्वारा कुछ वाहनों को आग लगाए जाने की घटना के आधार पर पुलिस ने क़ैफ़ के भाई और उसके साथियों पर ही केस दर्ज कर दिया।
“हमने भाई खोया, और अब हमें ही दोषी बना दिया गया,” – क़ैफ़ का भाई
पिछली घटनाओं से मिलती समानता
इस घटना से कुछ ही दिन पहले छपरा में ज़ाकिर नामक युवक को चोरी के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। कोई ठोस सबूत नहीं था, सिर्फ़ अफवाहें और नफरत। उस मामले में भी पुलिस की लापरवाही सवालों के घेरे में रही।