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राजकोट में 185 पाकिस्तानी शरणार्थियों को मिली भारतीय नागरिकता, मंत्री ने कहा “अब ज़िंदगी नई शुरू हुई है”

गुजरात के राजकोट में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत 185 पाकिस्तानी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी गई। यह अब तक के सबसे बड़े नागरिकता वितरण कार्यक्रमों में से एक था, जिसमें गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, “आज से आपकी नई ज़िंदगी शुरू हुई है।” समारोह में मौजूद लोगों ने “भारत माता की जय” के नारे लगाए और खुशी जाहिर की।

ये लोग मुख्य रूप से हिंदू हैं, साथ में कुछ सिख, जैन और बौद्ध भी हैं, जो पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचारों से परेशान होकर भारत आए थे। ये पिछले कई सालों से राजकोट, कच्छ और मोरबी जैसे इलाकों में रह रहे थे।मंत्री संघवी ने कहा कि इन लोगों ने बहुत तकलीफें सही हैं – किसी ने अपना घर खोया, तो किसी ने परिवार के सदस्य। उन्होंने कहा, “इनकी कहानियाँ सुनकर आंखों में आंसू आ जाते हैं। मैं इनके हौसले को सलाम करता हूँ।”

उन्होंने भारत के बहुलतावादी (सबको साथ लेकर चलने वाले) मूल्यों की तुलना पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों से की और सवाल उठाया – “पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्मों पर दुनिया चुप क्यों है?”CAA कानून 2019 में पास हुआ था, लेकिन इसके नियम मार्च 2025 में लागू किए गए। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया आसान बनाई गई है।

गुजरात में अब तक बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है, जबकि असम जैसे राज्यों में अभी तक सिर्फ दो लोगों को ही नागरिकता मिली है।नागरिकता पाने वालों के लिए यह दिन काफी खास रहा। राजकोट की भावना बेन महेश्वरी ने कहा, “पाकिस्तान में बहुत दुख झेले, लेकिन आज मैं गर्व से कहती हूँ कि मैं भारतीय हूँ।” वहीं, मोरबी की चंपा खंभाला ने कहा, “भारत में ज़िंदगी कहीं बेहतर है। पाकिस्तान में हम त्योहार भी खुलकर नहीं मना सकते थे। मेरी कई फैमिली मेंबर्स अभी भी वहाँ फंसे हैं, मैं चाहती हूँ कि उन्हें भी ये मौका मिले।”

सरकारी अफसरों ने वादा किया कि अब इन नए नागरिकों को सरकारी योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ मिलेगा।ये कार्यक्रम सिर्फ कागज़ी कामकाज नहीं था, बल्कि एक नई पहचान और सम्मान की शुरुआत थी – उन लोगों के लिए जिन्होंने सालों तक अपनी ज़मीन, पहचान और सुरक्षा के लिए संघर्ष किया।

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