गुजरात के अमरेली जिले से एक बेहद शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ जातीय घृणा ने एक दलित युवक की जान ले ली। 20 वर्षीय निलेश राठौड़, जो जराखिया गांव का रहने वाला था, महज इसलिए मारा गया क्योंकि उसने एक किशोर को “बेटा” कह दिया था।
घटना 16 मई को अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया की दुकान के पास हुई, जब निलेश अपने साथी लालजी मानसुख चौहान और अन्य लोगों के साथ था। निलेश पास की दुकान पर पैकेज्ड स्नैक्स लेने गया, और यहीं पर कथित तौर पर उसने एक अन्य जाति के किशोर को “बेटा” कह दिया। इसके बाद दुकानदार चोथा खोड़ा भरवड़ ने उस पर हमला कर दिया।
जब चौहान ने जाकर हस्तक्षेप किया, तो उसे भी लाठी से पीटा गया। दुकान मालिक ने अपने साथियों को बुलाया, जिन्होंने न सिर्फ पीड़ितों को डंडों और दरांती से पीटा, बल्कि जातिसूचक गालियाँ भी दीं। हमला उस वक्त थमा जब एक बुजुर्ग व्यक्ति ने हस्तक्षेप किया।
6 दिन बाद अस्पताल में तोड़ा दम
घटना के बाद निलेश को भावनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ 6 दिन तक इलाज के बाद उसकी मौत हो गई। इस घटना से पूरे इलाके में आक्रोश है।
FIR और कानूनी करवाई
FIR में चोथा भरवड़, विजय आनंद टोता, भव्येश मुंधवा, जतिन मुंधवा समेत 11 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं। उन पर भारतीय न्याय संहिता की कई गंभीर धाराओं के साथ-साथ एससी/एसटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं। अब तक 9 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, बाकी की तलाश जारी है।
जिग्नेश मेवाणी का विरोध प्रदर्शन
वडगाम से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बैठे और सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह दिखाता है कि आज भी गुजरात में जातिवाद जड़ें जमाए हुए है। दलित आज भी डर और असुरक्षा में जी रहे हैं।”
मेवाणी ने पीड़ित परिवार के लिए सरकारी नौकरी या ज़मीन की मांग की है और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और सामाजिक न्याय मंत्री अब तक मृतक के परिवार से मिलने नहीं पहुंचे हैं।
मनोएकता फाउंडेशन की तीखी प्रतिक्रिया
मनोएकता फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरीजा शंकर पाल ने तीखे शब्दों में कहा—“महज़ ‘बेटा’ कहने की सजा मौत? क्या यही है नया भारत?” उन्होंने संविधान के मरने की बात करते हुए चेताया कि अगर जातिवाद आज भी ज़िंदा है तो संविधान मर चुका है।