8 मई की रात, भारत ने दावा किया कि उसके एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया। इस सफलता में रूस से हासिल किए गए अत्याधुनिक एस-400 डिफेंस सिस्टम की विशेष चर्चा हो रही है। हालांकि, पाकिस्तान ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है।
वायु रक्षा प्रणाली, जिसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम भी कहते हैं, एक तरह का सैनिक सुरक्षा कवच है। यह हमारे देश की हवाई सीमा को दुश्मन के हवाई जहाजों, मिसाइलों, ड्रोन और दूसरे हवाई हमलों से बचाता है।
यह सिस्टम कैसे काम करता है?
यह रडार, सेंसर, मिसाइल और तोपों जैसे हथियारों का इस्तेमाल करता है। सबसे पहले, रडार और सेंसर दुश्मन के हवाई खतरों को पकड़ते हैं। फिर, एक कंट्रोल रूम में यह जानकारी जाती है, जहाँ तय किया जाता है कि किस खतरे से पहले निपटना है। इसके बाद, मिसाइलें या तोपें उन खतरों को नष्ट कर देती हैं।
एयर डिफ़ेंस सिस्टम एक जगह पर टिका हुआ भी हो सकता है, या इसे ट्रकों वगैरह पर लादकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह छोटे ड्रोन से लेकर बड़ी-बड़ी मिसाइलों तक को रोकने की ताकत रखता है।इसका सबसे बड़ा काम यही है कि यह हवाई हमलों से हमारे शहरों, सेना के ठिकानों और ज़रूरी इमारतों को सुरक्षित रखे।
एयर डिफ़ेंस सिस्टम मुख्य रूप से चार हिस्सों में काम करता है:
- रडार और सेंसर: ये दुश्मन के विमानों और मिसाइलों का पता लगाते हैं।
- कमांड एंड कंट्रोल सेंटर: यह पकड़ी गई जानकारी को देखता है और तय करता है कि क्या करना है।
- हथियार प्रणालियाँ: ये मिसाइलें और तोपें हैं जो खतरों को मार गिराती हैं।
- मोबाइल यूनिट्स: ये ऐसे हिस्से हैं जिन्हें जल्दी से कहीं भी ले जाया जा सकता है, जिससे युद्ध के मैदान में यह सिस्टम बहुत काम आता है।
एस-400: एक मुख्य हथियार
भारत ने 2018 में रूस से पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का समझौता किया था। इस सिस्टम की तुलना अमेरिका के बेहतरीन पैट्रिअट मिसाइल सिस्टम से होती है। यह एक मोबाइल सिस्टम है, जिसे सड़क के रास्ते कहीं भी ले जाया जा सकता है और आदेश मिलते ही 5 से 10 मिनट में तैनात किया जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण सिस्टम
एस-400 के अलावा, भारत के पास बराक-8 और स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम भी हैं, जो वायु रक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं। छोटी दूरी के खतरों से निपटने के लिए स्पाइडर और इग्ला जैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
सीधे शब्दों में कहें तो, एयर डिफ़ेंस सिस्टम आसमान से आने वाले दुश्मनों से हमारी रक्षा करने वाला एक आधुनिक और ज़रूरी हथियार है।भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम, जिसे भारतीय सेना ‘सुदर्शन चक्र’ कहती है, अपनी कई परतों और अलग-अलग तरह के सिस्टम की वजह से जाना जाता है। इसमें रूस, इज़राइल और भारत में बनी तकनीकों का मेल है, जो इसे पड़ोसी देशों के मुकाबले ज़्यादा असरदार बनाता है।
कैसा है पाकिस्तान का एयर डिफ़ेंस सिस्टम?
पाकिस्तान का एयर डिफ़ेंस सिस्टम ज़्यादातर चीन और फ्रांस से लिए गए हथियारों पर टिका है।
- उनकी सबसे ज़रूरी मिसाइल है एचक्यू-9, जो दूर (120 से 300 किलोमीटर तक) के हवाई खतरों को मार सकती है।
- हवाई अड्डों जैसी खास जगहों को बचाने के लिए फ्रांस से स्पाडा सिस्टम लिया गया है, जो कम दूरी तक काम करता है।
- चीन से एचक्यू-16 एफई भी है, जो मध्यम दूरी के हवाई खतरों और पानी के जहाजों को भी मार सकता है।
पाकिस्तान कहता है कि उनका सिस्टम ज़मीन से हवा में मार करने वाली हर तरह की मिसाइलों (क्रूज़ और बैलिस्टिक) को रोक सकता है।लेकिन, उनके पास हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलों से बचने के लिए कोई खास सिस्टम नहीं है।आगे चलकर, पाकिस्तान भी अपने एयर डिफ़ेंस को और अच्छा बनाने के लिए नई तकनीकें इस्तेमाल कर सकता है।
जानकारों का मानना है कि भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम पाकिस्तान के मुकाबले ज़्यादा ताक़तवर है। हाल ही में, भारतीय सिस्टम ने पाकिस्तानी हमलों और ड्रोन्स को रोकने में सफलता पाई है। एयर डिफ़ेंस सिस्टम देश की सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है और यह दुश्मनों के हवाई हमलों को नाकाम करने में मदद करता है।कुल मिलाकर, भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम एक मज़बूत और आधुनिक सुरक्षा कवच है जो देश को हवाई खतरों से बचाने में सक्षम है। इसमें अलग-अलग तरह के सिस्टम हैं जो हर तरह के खतरे से निपटने के लिए तैयार हैं।