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भारत ने रोहिंग्या और विदेशी नागरिकों को बांग्लादेश भेजा, असम CM हिमंता बिस्वा सरमा ने की पुष्टि

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को पुष्टि की है कि माटिया डिटेंशन सेंटर में रखे गए विदेशी नागरिकों, जिनमें रोहिंग्या भी शामिल हैं, को भारत-बांग्लादेश सीमा पर ले जाकर “पुश बैक” कर दिया गया। सरमा के इस बयान ने बांग्लादेशी मीडिया की उन खबरों की पुष्टि कर दी है जिनमें कहा गया था कि उनके बॉर्डर गार्ड्स ने कम से कम 123 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें रोहिंग्या और बांग्लाभाषी नागरिक शामिल थे, जिन्हें भारत की ओर से सीमा पार कराया गया।

भारत की ‘ऑपरेशन पुशबैक’?

मुख्यमंत्री सरमा ने इसे भारत सरकार का एक समन्वित ऑपरेशन बताया, जिसमें पूरे देश के विभिन्न डिटेंशन सेंटर्स में रखे गए विदेशी नागरिकों को शामिल किया गया। सरमा के मुताबिक असम भी इस प्रक्रिया में एक अहम हिस्सेदार रहा।

सरमा ने कहा, “जो रोहिंग्या या विदेशी नागरिक कानूनी रूप से ‘घुसपैठिया’ घोषित हो चुके हैं, जिनकी अपील या कानूनी प्रक्रिया खत्म हो चुकी है और माटिया ट्रांजिट सेंटर में बंद थे, उन्हें सीमा पर भेजकर बांग्लादेश में घुसने के लिए प्रेरित किया गया।”

माटिया सेंटर अब लगभग खाली

गोलपाड़ा जिले में स्थित माटिया डिटेंशन सेंटर देश का सबसे बड़ा डिटेंशन केंद्र है, जिसे अवैध प्रवासियों को रखने के लिए बनाया गया था। इस केंद्र में ऐसे विदेशी नागरिक बंद थे जिन्हें विदेशी ट्रिब्यूनल ने ‘घुसपैठिया’ घोषित किया है, या जो विदेशी नागरिकता कानूनों के उल्लंघन में दोषी पाए गए हैं और जिनकी वापसी प्रक्रियाधीन थी। सरमा ने दावा किया कि “माटिया अब लगभग खाली हो चुका है, बस 30-40 लोग बचे हैं।”

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया और जमीनी स्थिति

बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (BGB) ने हाल ही में दावा किया था कि भारत की ओर से रोहिंग्या और कुछ अन्य बांग्लाभाषी लोगों को सीमा पार कराने की कोशिश की गई, जिसके बाद उन्होंने 123 लोगों को हिरासत में लिया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। यह घटनाक्रम बांग्लादेश में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इन व्यक्तियों को न तो भारत, न ही म्य

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