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पहलगाम हमला: चाचा खोए, 11 को बचाया, पहलगाम में नज़ाकत की बहादुरी

Risking his own life Nazakat saved the lives of tourists

पहलगाम हमले के बाद से हालात काफी बिगड़ चुके है. देश भर से कश्मीरी स्टूडेंट के के साथ मारपीट की  वीडियो सामने आ रही है. इस हमले के बाद लोगों ने सिर्फ एक ही तस्वीर देखी वो भी सिर्फ नफरत की. नहीं देखा तो कश्मीरी लोगों का प्यार. जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाने की कोशिश की. ऐसी कई कहानियां इंटरनेट पर तैर रही है. उन्हीं कहानियों में से एक कहानी है नज़ाकत अली की. वे एक कपड़े के दुकानदार है. जिन्होंने हमले के समय अपनी जान की परवाह न करते हुए 11 लोगों की जान बचाई. ये सभी टूरिस्ट थे. जो छत्तीसगढ़ के चिरिमिरी से आऐ थे. 

जान जोखिम में डालकर टूरिस्ट को बचाया
चार दोस्त शिवांश जैन, हैप्पी बधावन, अरविंद अग्रवाल और कुलदीप 18 अप्रैल को अपने परिवार के साथ पहलगाम के पास बैसरन घूमने गए थे. 22 अप्रैल की सुबह, अचानक लैंडस्लाइड  से रास्ते बंद हो गए, और बहुत सारे टूरिस्ट वहां पर फंस गए. तभी कुछ बंदूकधारियों ने अचानक गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया. ऐसे में नजाकत अली उन लोगों की मदद करने के लिए आगे आए और अपनी जान पर खेलकर उन सभी की जान बचाई. 

नज़ाकत ने दिखाई बहादुरी 

बता दें कि इन चारों में अरविंद अग्रवाल, भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य हैं और बीजेपी पार्षद पूर्वा स्थापक के पति हैं, उन्होंने इस पूरी घटना को लेकर बताया कि- 

 “मेरे दोस्त और परिवार के लोग डर की वजह से हिल भी नहीं पा रहे थे. लेकिन नज़ाकत भाई बिल्कुल नहीं घबराए. उन्होंने एक बच्चे को अपनी पीठ पर लादा, एक बच्चे को अपनी गोद में उठाया और हम सबको सुरक्षित जगह पर ले गए.

नहीं भूलेंगे नज़ाकत का एहसान

वहीं, अरविंद फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि-  “उन्होंने हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। हम नज़ाकत भाई का यह एहसान कभी नहीं चुका सकते।”

सुरक्षित छत्तीसगढ़ के लिए किया रवाना

इसके अलावा बचाए गए 11 लोगों में से राकेश पराशर ने हालात बिगड़ने के बाद नज़ाकत ने जिस हौसले से काम लिया उसकी तारीफ की. उन्होंने कहा, 

“मेरे भतीजे के परिवार में तीन बच्चे थे। नज़ाकत सभी को अपने लॉज में ले गए और हमें तब तक साहारा दिया जब तक हम सुरक्षित छत्तीसगढ़ के लिए रवाना नहीं हो गए।”

आपका ये जानना जरूरी है कि पहलगाम हमले में नजाकत अली ने अपने चाचा आदिल हुसैन शाह खो दिया.  लेकिन उसके बाद भी नज़ाकत दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटे. उन्होंने लोगों की जान बचा कर बहादुरी की मिसाल पेश की है. लोगों को ये सोचने पर मजबूर किया है कि हजार नफरतों के बाद भी लोग हैं जो बुरे वक्त में आपके साथ खड़े हैं. बता दें कि नज़ाकत अली, सर्दी में चिरिमिरी में गर्म कपड़े बेचते हैं, इन परिवारों को सालों से जानते हैं.

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