कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर सीधा और तीखा हमला बोला है। दिल्ली में कांग्रेस की अनुसूचित जाति सलाहकार समिति की पहली बैठक को संबोधित करते हुए खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार संविधान को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है, और खासतौर पर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा स्थापित सामाजिक न्याय की मूल भावना पर खतरा पैदा किया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि पिछले एक दशक में दलितों के अधिकार, आरक्षण, और शिक्षा के अवसर लगातार घटे हैं, और यह एक सोची-समझी नीति का हिस्सा है जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों को पीछे धकेल रही है।
अपने संबोधन में खड़गे ने दावा किया कि भाजपा सरकार की नीतियों ने दलितों को मिले दशकों की प्रगति को पीछे धकेल दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और रोजगार—दोनों क्षेत्रों में दलितों की भागीदारी कम हो रही है, और आरक्षण को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश चल रही है। खड़गे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार भेदभाव को रोकने के बजाय, उसे वैचारिक आधार पर सही ठहराती दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि प्राइवेटाइजेशन और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में भारी कमी का सीधा असर SC/ST युवाओं पर पड़ रहा है, क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होता।
खड़गे ने अपने भाषण में कांग्रेस सरकारों के समय बने कई ऐतिहासिक कानूनों का जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि 1955 में Untouchability Act, 1989 में SC/ST अत्याचार निवारण कानून, और इसके बाद कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए संशोधन—सभी ने दलितों की सुरक्षा को मजबूत किया। वहीं, तेज़ जांच, कठोर सज़ाएं, पीड़ितों को मुआवजा और फ़ास्ट-ट्रैक कोर्ट जैसी व्यवस्थाएं भी कांग्रेस सरकारों की ही देन हैं। खड़गे ने कहा कि यह सभी प्रयास इसलिए सफल हुए क्योंकि कांग्रेस हमेशा सामाजिक न्याय को राजनीतिक लाभ से ऊपर रखती आई है।
शिक्षा में सुधार को दलित सशक्तिकरण की रीढ़ बताते हुए खड़गे ने कहा कि कांग्रेस की नीतियों ने लाखों दलित छात्रों का भविष्य बदला। प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप, SC छात्रों के लिए हॉस्टल, टॉप क्लास एजुकेशन स्कीम, और IIT-IIM तथा मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण जैसे कदमों ने देशभर में दलित डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और अधिकारी तैयार किए। उन्होंने कहा कि मिड-डे मील, सर्व शिक्षा अभियान और राइट टू एजुकेशन जैसे कार्यक्रमों ने स्कूलों में दाखिले बढ़ाए, जिससे दलित बच्चों को पहली बार बराबरी का अवसर मिला।
खड़गे यहीं नहीं रुके। उन्होंने मौजूदा सरकार पर दलित आवाज़ों को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला की मौत हो, भीमा कोरेगांव का मामला हो, या विश्वविद्यालयों में SC/ST छात्रों के साथ भेदभाव—सरकार हर बार सवालों से बचती रही। उन्होंने कहा कि आज भी शिक्षण संस्थानों में SC/ST फैकल्टी की भर्ती कम हो रही है, और दलित शोधार्थियों को परेशान किया जाता है। खड़गे ने कहा कि “जो सरकार समानता के खिलाफ है, वह संविधान को कमजोर किए बिना नहीं रह सकती।”
इसके बाद शाम को रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैली ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ को संबोधित करते हुए खड़गे ने और भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि “जो लोग वोट चोरी में शामिल हैं, वे गद्दार हैं… और ऐसे लोग लोकतंत्र को बर्बाद कर देंगे।” खड़गे ने केंद्र सरकार पर EVM से लेकर मतदाता सूची तक में गड़बड़ियों की अनुमति देने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि संविधान, लोकतंत्र और दलित अधिकारों को बचाने की जिम्मेदारी आज कांग्रेस के कंधों पर है।
अपने भाषण के अंत में खड़गे ने कहा कि RSS की विचारधारा भारत को समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग से हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि संविधान को बचाने और सामाजिक न्याय को मजबूत करने के लिए भाजपा सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी है। खड़गे के इस पूरे संबोधन ने विपक्ष को एक नया हमला बिंदु दिया है, जबकि सत्ता पक्ष ने उनके आरोपों को “निराधार और राजनीतिक” बताया है।









