---Advertisement---

शादी की शहनाई की जगह मातम: पुलिस कस्टडी में मोहम्मद शहज़ाद की संदिग्ध मौत ने उठाए सवाल

“मेरे बेटे को पुलिस हिरासत में मार डाला गया। वो कहते हैं कि उसने छत से कूदकर जान दी, लेकिन सच्चाई है कि उसे पीट-पीटकर मारा गया।” — यह बयान है अनवरुल हक़ का, जो अपने 28 वर्षीय बेटे मोहम्मद शहज़ाद हक़ की मौत का मातम मना रहे हैं।

मोहम्मद शहज़ाद हक़, बिहार के सिवान ज़िले के गोरेयाकोठी प्रखंड के शेखपुरा गांव के रहने वाले थे। 4 मई 2025 की शाम को पुलिस एक संपत्ति विवाद के सिलसिले में उनके घर पहुंची और उसके कुछ घंटों बाद से ही शहज़ाद की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई। पुलिस का दावा है कि शहज़ाद ने छत से कूदकर खुद को घायल कर लिया। लेकिन परिवार का आरोप है कि यह मौत पुलिस बर्बरता का नतीजा है।

शादी की तैयारी में था शहज़ाद

शहज़ाद हाल ही में मक्का से लौटे थे, जहाँ वो मस्जिद-ए-हरम में काम करते थे। 10 मई को उनकी शादी तय थी। लेकिन जिस दिन उनके सिर पर सेहरा बंधना था, उसी दिन उनके घर में जनाज़ा निकल पड़ा।

छापेमारी में पुलिस पर महिलाओं से दुर्व्यवहार का आरोप

4 मई की शाम पुलिस शहज़ाद की बहन के घर पहुंची। परिवार का कहना है कि इस दौरान न तो कोई महिला पुलिस मौजूद थी, न ही कोई वारंट दिखाया गया। “पुलिस ने घर की महिलाओं को धक्का देकर अंदर घुसपैठ की और मेरे मामा इम्तियाज़ को ज़बरदस्ती खींचकर ले गई,” एक रिश्तेदार ने बताया।

पुलिस का दावा और परिवार का आरोप

पुलिस ने मीडिया से कहा कि छापेमारी के दौरान शहज़ाद ने छत से कूदकर भागने की कोशिश की, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। उन्हें पहले गोरेयाकोठी, फिर सिवान और आखिर में पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH) में भर्ती कराया गया।

लेकिन शहज़ाद की बहन कहती हैं, “वो ठीक-ठाक थे जब पुलिस उन्हें ले गई। उन्होंने हमें अलविदा कहा, मोबाइल और वॉलेट भी हमें दिया। फिर अचानक खबर आई कि उनके सिर में गंभीर चोटें हैं।” इम्तियाज़ अहमद, शहज़ाद के मामा, कहते हैं, “अगर वो गिरा होता तो हाथ-पैर टूटते। लेकिन उसके सिर और पीठ पर चोटें थीं — ये पिटाई के निशान हैं, न कि गिरने के।”

7 दिन की जद्दोजहद के बाद मौत

शहज़ाद की हालत लगातार बिगड़ती गई। सर्जरी के बावजूद 11 मई को उनकी मौत हो गई। मां अमीना बीबी का दर्द शब्दों में नहीं समा रहा, “मेरा बेटा शादी करने वाला था। अब मैं किसके सहारे जियूं?” उनकी भांजी ने गुस्से और दुख में कहा, “हमें इंसाफ चाहिए। वो कहते हैं कि वो कूदा, लेकिन हम जानते हैं — पुलिस ने मारा। उन्होंने उसे मार डाला।”

प्रशासन पर ‘कवर-अप’ का आरोप

सिवान पुलिस अब भी यही कह रही है कि यह एक दुर्घटना थी और कोई मारपीट नहीं हुई। लेकिन परिवार और गांव वालों का मानना है कि यह पुलिस और उनके साथ आए कुछ स्थानीय लोगों द्वारा रची गई हिंसा थी, जिन्होंने पुरानी रंजिश के चलते शहज़ाद को निशाना बनाया।

न्याय की माँग

शहज़ाद की मौत ने सिवान ज़िले में आक्रोश और शोक की लहर पैदा कर दी है। गांव के लोग, रिश्तेदार और सामाजिक कार्यकर्ता सभी इस सवाल से जूझ रहे हैं — अगर पुलिस ही सुरक्षा नहीं दे सकती, तो न्याय किससे मांगा जाए?

“जिस लड़के को शादी की पोशाक पहननी थी, अब वो कफ़न में लिपटा है,” इम्तियाज़ अहमद की यह बात हर उस इंसान के दिल को चीर देती है जो इंसाफ़ पर यकीन रखता है।

Join WhatsApp

Join Now

Follow Google News

Join Now

Join Telegram Channel

Join Now