मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने मई में फेसबुक पर एक ऐसा कार्टून साझा किया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपमानजनक और असम्मानजनक तरीके से दर्शाया गया था।
विवादित कार्टून में क्या था?
शिकायत के मुताबिक, मालवीय ने एक ऐसा कार्टून पोस्ट किया जिसमें एक व्यक्ति RSS जैसी निक्कर पहने झुका हुआ दिखाया गया है और उसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी को सुई और स्टेथोस्कोप के साथ दिखाया गया है।इस पोस्ट में भगवान शिव का नाम भी एक ऐसे संदर्भ में लिया गया था, जिसे अदालत ने “धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला” और “सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला” बताया।
जज का क्या कहना है?
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की पीठ ने 3 जुलाई को फैसला सुनाते हुए कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को पार कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में हिरासत में पूछताछ (custodial interrogation) ज़रूरी है।
अदालत ने यह भी कहा कि मालवीय ने न सिर्फ यह कार्टून साझा किया, बल्कि दूसरों को भी इसे फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे यह साफ है कि उनकी मंशा जानबूझकर भड़काने और संदेश को फैलाने की थी।
अभिवक्ता की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
मालवीय के वकील ऋषभ गुप्ता ने दलील दी कि यह एक व्यंग्य (satire) था और सिर्फ़ फेसबुक पर पोस्ट किया गया था, हालांकि वह सार्वजनिक रूप से दिख रहा था। इस पर सरकार की ओर से सरकारी वकील अमित रावल ने तर्क दिया कि मालवीय इस तरह के भड़काऊ और अपमानजनक कार्टून लगातार साझा करते रहते हैं और ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं से बाहर हैं। कोर्ट ने यह तर्क भी खारिज कर दिया कि मालवीय की तुलना प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण से की जाए। जज ने कहा कि ऐसा कोई कार्टून अदालत के सामने पेश नहीं किया गया जो मालवीय के कार्टून से मेल खाता हो।
जमानत से क्यों किया इनकार?
कोर्ट ने कहा कि मालवीय के पोस्ट में उद्देश्य स्पष्ट रूप से भड़काना था। उन्होंने भगवान शिव का उल्लेख एक अस्वीकार्य तरीके में किया और देश के प्रधानमंत्री और एक धार्मिक संगठन को बदनाम किया।इस वजह से अदालत ने कहा कि उन्हें आगे ऐसे कृत्य दोहराने की प्रवृत्ति है और उनके लिए सीआरपीसी की धारा 41A और BNSS की धारा 35 का लाभ नहीं दिया जा सकता।इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के Arnesh Kumar दिशा-निर्देशों का लाभ भी उन्हें नहीं मिलेगा।
निष्कर्ष
इस फैसले के बाद, अब हेमंत मालवीय को गिरफ़्तारी से राहत नहीं मिलेगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही आगे जारी रहेगी। अदालत का साफ़ संदेश है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने या देश के संवैधानिक पदों का मज़ाक उड़ाने के लिए नहीं किया जा सकता।