म्यांमार के चिन राज्य (Chin State) में 2 जुलाई से दो जातीय गुटों चिन नेशनल डिफेंस फोर्स (CNDF) और चिनलैंड डिफेंस फोर्स (CDF) के बीच फिर से हिंसक झड़पें शुरू हो गई हैं। इसके कारण अब तक करीब 4,000 नए शरणार्थी म्यांमार से भारत के मिज़ोरम राज्य में दाख़िल हो चुके हैं।
कैसे और कहां से आए लोग?
ये लोग म्यांमार की सीमा से लगे मिज़ोरम के चम्फाई ज़िले में शरण ले रहे हैं।जिन गाँवों से हिंसा की वजह से लोग भागे हैं, उनमें खावमावी (Khawmawi), रिहखावदर (Rihkhawdar) और लेइलेट (Leilet) शामिल हैं।शरणार्थी तिआउ नदी (Tiau River) या भारत-म्यांमार फ्रेंडशिप ब्रिज के ज़रिए भारत में दाख़िल हो रहे हैं।उनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
कहां रह रहे हैं शरणार्थी?
ज्यादातर लोग अब Zokhawthar और Saikhumphai गाँवों में रह रहे हैं।कुछ शरणार्थी अपने रिश्तेदारों के घर में रुके हैं, जबकि बाकी को यंग मिज़ो एसोसिएशन (YMA) और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा बनाए गए कैंपों और कम्युनिटी हॉल्स में रखा गया है।चम्फाई ज़िले में शरणार्थियों की देखभाल के लिए बनाई गई एक समिति के प्रमुख रॉबर्ट ज़ोरेमतलुआंगा ने बताया कि इससे पहले ही ज़िला 13,000 म्यांमार शरणार्थियों को शरण दे रहा था।
झड़पें और घायल नागरिक
हिंसा के दौरान गोलियों की बौछार, मोर्टार शेलिंग और ड्रोन हमले हुए हैं।चिकित्सा अधिकारियों के मुताबिक, अब तक चार घायल शरणार्थियों को इलाज के लिए मिज़ोरम लाया जा चुका है।
स्थानीय संगठनों की मदद
यंग मिज़ो एसोसिएशन (YMA) और कई स्थानीय संगठन इन शरणार्थियों को भोजन, दवाएं और रहने की जगह मुहैया करा रहे हैं।Zokhawthar में YMA हॉल और Saikhumphai में एक कम्युनिटी हॉल को अस्थायी शरणस्थली बनाया गया है।मिज़ोरम और चिन समुदाय का गहरा रिश्ता मिज़ोरम में पहले से ही 33,000 चिन शरणार्थी म्यांमार से और 2,000 बांग्लादेश से रह रहे हैं।चिन समुदाय और मिज़ो लोगों के बीच सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध हैं, इसलिए मिज़ोरम की जनता और सरकार इन्हें सहानुभूति के साथ स्वीकार कर रही है।
शांति की अपील
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने दोनों पक्षों से शांति वार्ता करने की अपील की है।उन्होंने कहा:“हमारे समाज और पड़ोस में शांति बनी रहनी चाहिए। आइए हम अपने पूर्वजों द्वारा सिखाई गई आपसी सौहार्द की भावना को फिर से जागृत करें।”
निष्कर्ष
म्यांमार में जारी संघर्ष और भारत में शरण लेने वाले चिन समुदाय की बढ़ती संख्या से मिज़ोरम पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।फिलहाल, स्थानीय संगठन और प्रशासन मिलकर लोगों को राहत दे रहे हैं, लेकिन अगर लड़ाई यूँ ही जारी रही, तो मानवीय संकट और गहराने की आशंका है।