भारतीय सेना ने मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में स्थित नौ जगहों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सटीक हमला किया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त कदम उठाने का ऐलान किया था।
इस ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए सेना की दो महिला अधिकारियों ने बुधवार सुबह मीडिया को संबोधित किया — लेफ्टिनेंट कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। आइए जानें, कौन हैं ये जांबाज़ महिलाएं जिन्होंने देश की सुरक्षा और गौरव में अपना विशेष योगदान दिया।
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी: भारतीय सेना की प्रेरणादायक अधिकारी
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी सिग्नल कोर की अधिकारी हैं और गुजरात से ताल्लुक रखती हैं। बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट और सैन्य परिवार से आने वाली सोफ़िया ने 1999 में मात्र 17 साल की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए सेना जॉइन की थी। वह 2016 में पुणे में आयोजित बहुराष्ट्रीय फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास ‘फोर्स 18’ में भारतीय सेना की 40-सदस्यीय टुकड़ी की पहली महिला कमांडर बनीं — यह उपलब्धि अब तक भारतीय सैन्य इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। उनका छह वर्षों का संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अनुभव, विशेष रूप से 2006 में कॉन्गो में, भारतीय सेना के अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान को और मजबूत करता है।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह: आसमान की शेरनी
विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट हैं और उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ एनसीसी से अपना करियर शुरू किया। उनके नाम का अर्थ ‘आसमान से जोड़ने वाली’ है — और उन्होंने अपने सपनों को इसी नाम की तरह ऊँचाई दी। व्योमिका को 2019 में फ्लाइंग ब्रांच में पायलट के रूप में परमानेंट कमीशन मिला। उन्होंने अब तक 2500 से अधिक घंटे उड़ान भर चुके हैं, जिनमें चेतक और चीता हेलीकॉप्टर शामिल हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई राहत और बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में हुआ ऑपरेशन प्रमुख है।
महिलाओं की भागीदारी: सेना की बदलती तस्वीर
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महिला अधिकारियों की सक्रिय भूमिका भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है। यह मिशन केवल सामरिक जीत नहीं, बल्कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का भी उदाहरण है।भारतीय सेना के इस साहसिक अभियान ने न केवल देश की सीमाओं की रक्षा की है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा में महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं।