AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम समेत देश के कई हिस्सों में बंगाली बोलने वाले मुस्लिम नागरिकों को गलत तरीके से “बांग्लादेशी” बताकर पकड़ा जा रहा है, जबकि उनके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी जैसे वैध पहचान पत्र मौजूद हैं।
ओवैसी ने कहा कि पुलिस कमजोर लोगों पर सख्त और ताकतवरों पर नरम रवैया अपनाती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत के नागरिकों को जबरन बंदूक की नोक पर बांग्लादेश भेजा जा रहा है, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।उनका कहना है कि जिन लोगों को “अवैध प्रवासी” बताया जा रहा है, वे बहुत ही गरीब तबके से आते हैं – जैसे झुग्गीवासी, सफाई कर्मचारी, घरेलू कामगार और कूड़ा बीनने वाले। ये लोग पुलिस की ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाने की स्थिति में नहीं हैं।
गुरुग्राम पुलिस के मुताबिक, गृह मंत्रालय के निर्देश पर अवैध विदेशी नागरिकों (खासकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या) की पहचान और डिटेंशन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत “स्पेशल होल्डिंग सेंटर्स” बनाए गए हैं जहां इन लोगों को रखा जा रहा है।The Wire की रिपोर्ट के अनुसार, 19 जुलाई को गुरुग्राम पुलिस ने 74 प्रवासी मजदूरों को पकड़ा, जिनमें 11 पश्चिम बंगाल और 63 असम के थे। सभी को अवैध बांग्लादेशी समझकर विशेष केंद्रों में भेजा गया, जिन्हें कार्यकर्ताओं ने “डिटेंशन कैंप” बताया।
21 जुलाई को CPI-ML की टीम ने गुरुग्राम के सेक्टर 10 में एक अस्थायी डिटेंशन कैंप का दौरा किया और बताया कि वहां मजदूरों को अमानवीय हालात में रखा गया है।CPI(ML) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने वसंत कुंज के जय हिंद कैंप का भी दौरा किया, जहां पिछले दो हफ्तों से बिजली कटी हुई है। इन निवासियों पर पहले “बांग्लादेशी” होने का आरोप लगाया गया था और उन्हें अतिक्रमण का बहाना बनाकर परेशान किया गया।
हालांकि सामाजिक संगठनों, मीडिया और कुछ नेताओं के दबाव के बाद कुछ मजदूरों को रिहा कर दिया गया, लेकिन प्रशासन ने आज तक यह स्पष्ट नहीं किया कि किन आधारों पर उन्हें विदेशी माना गया।गुरुग्राम पुलिस PRO संदीप कुमार ने दावा किया कि ये लोग “डिटेंशन” में नहीं हैं, बल्कि “होल्डिंग सेंटर्स” में रखे गए हैं, जहां उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं दी जा रही हैं।
निष्कर्ष:
यह मामला बताता है कि सरकार की अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई की आड़ में कैसे गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी और CPI-ML जैसे नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक और मानवाधिकार मूल्यों के खिलाफ बताया है।