सुभासपा विधायक और मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच के मामले में शनिवार को मऊ की विशेष अदालत ने दो साल की सज़ा सुनाई है। यह मामला साल 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए एक भड़काऊ भाषण से जुड़ा है। सज़ा के ऐलान के साथ ही अब अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई है।
क्या कहा था अब्बास अंसारी ने?
2022 के चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में अब्बास अंसारी ने कहा था, “मैं अखिलेश यादव से कहकर आया हूं कि सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी अफसर का ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगा। पहले हिसाब-किताब होगा, फिर ट्रांसफर होगा।” इस बयान को लेकर मऊ कोतवाली में सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने FIR दर्ज कराई थी। आरोप था कि अब्बास ने यह बयान अफसरों को धमकाने और प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावित करने की नीयत से दिया था।
कोर्ट का फैसला और त्वरित कार्रवाई
करीब तीन साल चली सुनवाई के बाद अदालत ने इसे हेट स्पीच मानते हुए दो साल की सज़ा सुनाई। इसके साथ ही विधानसभा सचिवालय ने भी तेज़ी से कार्रवाई करते हुए रविवार (जो कि अवकाश का दिन होता है) को विशेष रूप से दफ्तर खोला और अब्बास अंसारी की सीट को रिक्त घोषित कर चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज दी। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने इस संबंध में कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल या उससे अधिक की सज़ा होने पर सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। इसी के आधार पर यह निर्णय लिया गया।
सवाल भी उठे
इस मामले में जिस तेजी से कार्रवाई हुई, सज़ा के 24 घंटे के भीतर सीट रिक्त घोषित कर दी गई, वह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। विपक्ष ने सवाल उठाया कि इसी तरह के दर्जनों मामले सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर भी लंबित हैं, लेकिन उनमें कार्रवाई की रफ्तार बेहद धीमी है।