उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों का नाम और धर्म लिखवाना बंद कर दिया था। लेकिन इस साल प्रशासन ने एक नया तरीका निकाल लिया है।फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कांवड़ यात्रा के रास्ते पर पड़ने वाली सभी दुकानों और ढाबों को निर्देश दिया है कि वे अपनी दुकान का रजिस्ट्रेशन नेम और साथ में एक QR कोड लगाएं। कागज पर तो यह QR कोड लोगों की शिकायत या फीडबैक लेने के लिए बताया गया है, लेकिन असल में इसे स्कैन करने पर दुकान मालिक का नाम और जाहिर है, धर्म भी सामने आ जाएगा।
QR कोड में छुपा ‘पहचान का हथियार’?
फूड सेफ्टी विभाग के एक अधिकारी ने ऑफ रिकॉर्ड माना कि
“कोई भी अब कोड स्कैन करके जान सकता है कि दुकान का मालिक कौन है। हां, सुप्रीम कोर्ट ने सीधे नाम दिखाने से रोका था, लेकिन यह तो रजिस्ट्रेशन से जुड़ा है, इसलिए अलग है।”
हालांकि, कई लोग इसे भी वही पुराना तरीका मान रहे हैं बस थोड़ा बदला हुआ।
पिछले साल क्यों हुआ था विवाद?
पिछले साल यूपी सरकार ने दुकानदारों को अपने नाम और धर्म का बोर्ड लगाने का आदेश दिया था, ताकि कांवड़ियों को पता चले कि किसकी दुकान है। कई मुस्लिम दुकानदारों ने इसे चुनौती दी, क्योंकि इससे डर था कि कोई हिंसा या बहिष्कार हो सकता है।
उनका डर गलत भी नहीं था सोशल मीडिया पर वीडियो आए जिसमें कुछ दुकानों को सिर्फ इसलिए तोड़ दिया गया कि मुस्लिम मालिक ने दुकान का नाम हिंदू जैसा रखा था। भीड़ ने नारेबाज़ी करते हुए उन दुकानों का बहिष्कार भी किया था।
QR कोड से दोबारा डर का माहौल?
इस बार नए QR सिस्टम को लेकर भी लोग डरे हुए हैं।
लखनऊ के एक वकील ने कहा,
“यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना और शब्द दोनों का उल्लंघन है। मकसद वही है — पहचान करो, अलग करो, और डराओ।”
मुज़फ्फरनगर के एक मुस्लिम दुकानदार ने कहा,
“पिछले साल नाम लिखवाना चाहते थे, अब कोड में छुपा दिया है। किसी भी झूठी शिकायत पर भीड़ तुरंत पहुंच सकती है।”
प्रशासन का दावा, एक्टिव निगरानी
फूड सेफ्टी विभाग का कहना है कि मोबाइल वैन लगातार निगरानी में रहेंगी, और किसी भी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।लेकिन अधिकार कार्यकर्ताओं का डर है कि अगर कोई फर्जी शिकायत कर दे, तो पुलिस या भीड़ का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
कांवड़ यात्रा में बढ़ेगी आशंका?
श्रावण महीने में लाखों कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल लेकर आते हैं और रास्ते में इन दुकानों पर रुकते हैं। गाजियाबाद, मेरठ, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर जैसे इलाकों में पहले से ही सांप्रदायिक तनाव की स्थिति रहती है।QR कोड के जरिए पहचान उजागर होने पर हालात और खराब हो सकते हैं ऐसा सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है।