इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को संभल ज़िले के अज़ाद जन्नत निशा स्कूल की बिल्डिंग को गिराने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल के शांतिपूर्ण संचालन में कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने दिया। स्कूल के मैनेजर मो. शाहवेज़ आलम की याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश जारी किया गया।
46 साल पुराने ज़मीन सौदे पर विवाद
यह मामला उस समय शुरू हुआ जब 13 जनवरी 2025 को, ज़िलाधिकारी, उप-जिलाधिकारी, पुलिस और अन्य अधिकारी स्कूल की ज़मीन पर पहुंचे और कई लोगों के साथ मिलकर कब्जे का दावा करने लगे।
स्कूल के प्रबंधक शाहवेज़ का दावा है कि उनके पिता ने यह ज़मीन 8 जनवरी 1979 को नाथुआ उर्फ़ गंगा प्रसाद और हर प्रसाद से रजिस्टर्ड सेल डीड के ज़रिए खरीदी थी। लेकिन अब उन्हीं लोगों के वारिसों ने दावा करना शुरू कर दिया है कि यह ज़मीन उनकी है।
शांति से चल रहा स्कूल, फिर भी धमकियां
अज़ाद जन्नत निशा स्कूल, जो उत्तर प्रदेश बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, 1979 से लगातार नर्सरी से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई कर रहा है। इस दौरान किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई थी।
APCR (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) के मुताबिक़, जनवरी से जून 2025 तक स्कूल में कई बार अधिकारी और स्थानीय लोग पहुंचे और बिना किसी आदेश के स्कूल के प्रबंधकों को धमकाया।
15 मई को हुआ कथित नुकसान
APCR के अनुसार, 15 मई 2025 को प्रशासन ने स्कूल का गेट और कई क्लासरूम तोड़ दिए, जिससे लगभग ₹30 लाख का नुकसान हुआ। यहां तक कि स्कूल तक जाने वाला रास्ता भी तोड़कर कब्जा कर लिया गया, जो स्कूल के मालिकाना हक़ में बताया गया है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
APCR का आरोप है कि प्रशासन और पुलिस ने इस मामले में पीड़ित पक्ष को कोई मदद नहीं दी, बल्कि अवैध कब्जा करने वालों का साथ दिया। संस्था ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव के बाद से मुसलमानों को भूमि पर अवैध कब्जेदार बताया जा रहा है, जबकि कई लोग वैध ज़मीन पर दशकों से रह रहे हैं।
सांप्रदायिक तनाव और राजनीति का असर
APCR ने यह भी कहा कि यह विवाद नवंबर 2024 में संभल में हुई हिंसा के बाद बढ़ा है, जब स्थानीय हिंदुत्व संगठनों और कुछ भाजपा नेताओं ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें “दूसरों की ज़मीन पर कब्जा करने वाला” बताया। इसके बाद प्रशासन की ओर से चुनिंदा कार्रवाई होने लगी।
राज्य का जवाब: “कोई कार्रवाई नहीं हो रही”
राज्य की ओर से पेश वकील श्री गोपाल सक्सेना ने कोर्ट में कहा कि याचिका बिना किसी ठोस आधार के दायर की गई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि फिलहाल स्कूल को गिराने की कोई योजना नहीं है, और अगर भविष्य में कोई कार्रवाई होगी, तो वो कानूनी प्रक्रिया के तहत ही होगी।
फिलहाल स्कूल को राहत, लेकिन विवाद बना हुआ है
फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूल को तुरंत राहत मिली है। लेकिन ज़मीन की क़ानूनी लड़ाई अब भी जारी है।यह मामला यह भी दिखाता है कि किस तरह स्थानीय विवाद, सांप्रदायिक तनाव, और प्रशासनिक पक्षपात एक पुरानी और शांतिपूर्ण संस्था को भी खतरे में डाल सकते हैं।