उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के हरदुआगंज इलाके में मीट ट्रांसपोर्ट कर रहे चार मुस्लिम युवकों पर कथित हिंदुत्ववादी भीड़ ने बर्बर हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ितों का इलाज इस वक़्त अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) में चल रहा है।
घटना के बाद मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF), AMU यूनिट के पदाधिकारियों ने पीड़ितों से मुलाकात कर न केवल उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली, बल्कि उन्हें हर संभव सहायता और समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इस दौरान MSF ने IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) के राज्यसभा सांसद एडवोकेट हारिस बीरन से पीड़ितों की सीधी बातचीत भी करवाई, जिन्होंने उन्हें कानूनी मदद देने का आश्वासन दिया।
MSF-AMU के अध्यक्ष मोहम्मद सज्जाद ने इस हमले को “नफरत से भरी राजनीति का नतीजा” बताते हुए कहा, “यह घटना इस बात की एक और मिसाल है कि भारत में अल्पसंख्यकों को किस तरह खुल्लम-खुल्ला निशाना बनाया जा रहा है, वो भी कानून व्यवस्था के मौजूद होने के बावजूद।”
MSF नेता मोहम्मद सिनान ने कहा
“यह हमला सिर्फ शरीर पर नहीं, उनकी पहचान और आजीविका पर भी है। हमें नफरत के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।”
राजनीतिक विरोध भी तेज
सोमवार को समाजवादी पार्टी (SP), कांग्रेस और AIMIM ने SSP कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हमले के दौरान पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन उसने हमलावरों को रोकने के बजाय मूकदर्शक की भूमिका निभाई।
घटना शनिवार को तब हुई जब सभी दस्तावेज़ पूरे होने के बावजूद युवकों को रोका गया, पीटा गया और उनकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया।
संदेश साफ है
MSF ने दो टूक कहा, “हम पीड़ितों के साथ मज़बूती से खड़े हैं और जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, हम पीछे नहीं हटेंगे।”यह घटना उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है। समाज में नफरत और हिंसा को सामान्य मान लेने की प्रवृत्ति पर अब निर्णायक रूप से आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।