---Advertisement---

बहराइच में 180 से ज़्यादा मुस्लिम परिवारों पर बेदखली की तलवार, 185 साल पुरानी नूरी मस्जिद भी निशाने पर

बहराइच, उत्तर प्रदेश – बहराइच ज़िले में 180 से ज़्यादा मुस्लिम परिवारों को वन विभाग द्वारा नोटिस भेजा गया है, जिनमें उन्हें “सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा” करने का आरोप लगाते हुए बेदखली की चेतावनी दी गई है। इन परिवारों में ज़्यादातर लोग ऐतिहासिक नूरी मस्जिद के इर्द-गिर्द बसे हुए हैं, और उनका दावा है कि उनके पूर्वज ब्रिटिश राज के समय से इस ज़मीन पर रह रहे हैं।

नूरी मस्जिद: 185 साल पुराना इतिहास संकट में


नूरी मस्जिद, जिसे 1839 में स्थापित बताया जाता है, इस विवाद का मुख्य केंद्र बन गई है। हाल ही में मस्जिद के एक हिस्से को प्रशासन ने ढहा दिया, जिसका मस्जिद प्रबंधन समिति ने तीखा विरोध किया और अब यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित है। मस्जिद समिति का दावा है कि यह मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है और वहां 185 सालों से नमाज़ अदा हो रही है।

हालांकि, ज़िला प्रशासन का कहना है कि मस्जिद का जो हिस्सा तोड़ा गया वह सिर्फ़ 2-3 साल पहले बनाया गया था, और सैटेलाइट इमेजेस व पुरानी तस्वीरें इस दावे का समर्थन करती हैं। प्रशासन का तर्क है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई है।

वन विभाग की नोटिसें और क़ानूनी आधार


वन विभाग ने इन परिवारों को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 61A और 61B के तहत बेदखली के नोटिस जारी किए हैं। धारा 61A के मुताबिक़, अगर किसी अधिकारी को लगता है कि कोई व्यक्ति संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहा है, तो उसे नोटिस देकर 10 दिनों के भीतर ज़मीन से बेदखल किया जा सकता है — ज़रूरत पड़ने पर बल प्रयोग की अनुमति भी अधिनियम देता है।

डिविजनल फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर बी. शिव शंकर ने पुष्टि की है कि यदि कोई परिवार वैध दस्तावेज़ पेश करता है, तो उन्हें बेदखल नहीं किया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कहना, “दस्तावेज़ दिखाओ”, उनके अस्तित्व पर ही सवाल उठाने जैसा है। “हम यहाँ पीढ़ियों से हैं, क्या हमारे बुज़ुर्गों की क़ब्रें भी गवाही देंगी?” – एक बुज़ुर्ग निवासी ने कहा।

हज़ारों किलोमीटर चलकर वन विभाग से गुहार


ग्रामीणों ने सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके डिविजनल फ़ॉरेस्ट ऑफिस में दस्तक दी है, ताकि वे अपनी बात रख सकें और इंसाफ़ की उम्मीद पा सकें। कई परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी ज़मीन और धार्मिक स्थलों के दस्तावेज़ दिखाने का मौका ही नहीं दिया गया और अचानक नोटिस थमा दिए गए।

मस्जिद को बेदखली सूची में डालना क्यों बना विवाद का कारण


प्रशासन की ओर से नूरी मस्जिद को भी बेदखली सूची में डाले जाने से समुदाय में भारी नाराज़गी है। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह सिर्फ़ ज़मीन या निर्माण का मामला नहीं, बल्कि उनकी पहचान और धार्मिक धरोहर पर हमला है।

अदालत में उम्मीद की नज़र


नूरी मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी अगली सुनवाई 12 दिसंबर को तय है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अदालत उनके पक्ष में निष्पक्ष फ़ैसला करेगी और वर्षों पुरानी उनकी ज़मीन और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

Join WhatsApp

Join Now

Follow Google News

Join Now

Join Telegram Channel

Join Now