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बानू मुश्ताक को कन्नड़ लघु कहानी संग्रह ‘Heart Lamp’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला

भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपने लघु कथा संग्रह ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज 2025 जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पुरस्कार पाने वाली यह पहली कन्नड़ भाषा की किताब है। किताब का अंग्रेज़ी अनुवाद दीपा भष्ठी ने किया है और खास बात यह है कि दीपा भष्ठी इस सम्मान को पाने वाली पहली भारतीय ट्रांसलेटर बन गई हैं।

बुकर प्राइज की ऐतिहासिक जीत

लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित एक समारोह में बानू मुश्ताक और दीपा भष्ठी को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया गया। उन्हें कुल 50,000 पाउंड (करीब 52.95 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि प्रदान की गई, जिसे लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटा गया। ‘हार्ट लैंप’ को इस वर्ष की दुनिया भर से नामांकित छह प्रमुख पुस्तकों में से चुना गया था। यह इंटरनेशनल बुकर जीतने वाली पहली शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन (लघु कथा संग्रह) भी बन गई है।

‘हार्ट लैंप’: पितृसत्ता के बीच स्त्री संघर्ष की गूंज

बानू मुश्ताक की यह किताब दक्षिण भारत में मुस्लिम महिलाओं के जीवन संघर्षों पर आधारित है। इन कहानियों में पितृसत्तात्मक समाज की जकड़नों, धार्मिक और सामाजिक परतों, और महिला अनुभवों को मार्मिक रूप से पेश किया गया है। मुश्ताक ने 1990 से 2023 के बीच करीब 50 कहानियां लिखी थीं, जिनमें से 12 कहानियों का चयन कर दीपा भष्ठी ने अंग्रेज़ी में अनुवाद किया।

बानू मुश्ताक का भावुक संदेश

अवार्ड जीतने के बाद बानू मुश्ताक ने कहा, “यह किताब उस भरोसे से जन्मी है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती। साहित्य, इस बंटी हुई दुनिया में, वो जगह है जहां हम एक-दूसरे को समझ सकते हैं, भले ही कुछ पन्नों के लिए ही सही।”

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