महाराष्ट्र के नासिक में हजरत सतपीर शाह दरगाह पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाकर उसे गिरा दिया। इस कार्रवाई को लेकर पूरे महाराष्ट्र में राजनीति गर्म हो गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में दखल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट से पूछा है कि जब दरगाह के ट्रस्ट ने नगर निगम के नोटिस के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी, तो उसे समय पर सुनवाई के लिए लिस्ट क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इस पर रिपोर्ट मांगी है।
क्या हुआ था नासिक में?
नासिक नगर निगम ने 1 अप्रैल को दरगाह को अवैध बताते हुए नोटिस दिया था और 15 दिन के भीतर खुद ही निर्माण हटाने को कहा था। 15 अप्रैल की रात निगम ने कार्रवाई शुरू की तो वहां पथराव हुआ और 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद 16 अप्रैल की सुबह 6 बजे दरगाह को गिरा दिया गया. ट्रस्ट के वकील ने कहा कि वे 8 अप्रैल से हाईकोर्ट में सुनवाई का इंतजार कर रहे थे लेकिन मामला लिस्ट नहीं हुआ। ट्रस्ट का आरोप है कि आधी रात को कार्रवाई जानबूझकर की गई ताकि सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे ऑर्डर आने से पहले दरगाह को गिरा दिया जाए। ट्रस्ट ने यह भी दावा किया कि दरगाह का इतिहास 350 साल पुराना है और उनके पास इसके वैध दस्तावेज हैं।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका को समय पर क्यों नहीं सुना, इसकी रिपोर्ट पेश की जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
नासिक नगर निगम का पक्ष
नासिक नगर निगम ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी नहीं मिला है। उनका दावा है कि 12 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस ढांचे को अवैध माना था, इसलिए 1 अप्रैल को नोटिस देकर 15 दिन का समय दिया गया था और तय समय के बाद कार्रवाई की गई। फिलहाल दरगाह के आसपास भारी पुलिस सुरक्षा तैनात है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए बैरिकेडिंग कर दी गई है।