इज़राइल के गाज़ा पर हमलों में सबसे भारी कीमत फिलिस्तीनी बच्चों को चुकानी पड़ रही है। यूनिसेफ के अनुसार, हर 20 मिनट में एक बच्चा मारा जा रहा है या घायल हो रहा है। अक्टूबर 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 50,000 से ज्यादा बच्चे या तो मारे जा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी ने चेतावनी दी है कि यह त्रासदी हर दिन और भयावह होती जा रही है।
यूनिसेफ ने अपने बयान में कहा, “गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन, रोका गया मानवीय सहायता, भुखमरी, तबाह घर, स्कूल और अस्पताल — यह बचपन की तबाही है, जीवन की तबाही है। ये बच्चे हैं, आंकड़े नहीं। किसी भी बच्चे को यह सब झेलना नहीं चाहिए। अब और नहीं।”
इस भीषण मानवीय संकट की गवाही तब और मार्मिक हो गई जब संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर, बच्चों के खिलाफ जारी इस हिंसा को लेकर प्रेस ब्रीफिंग के दौरान खुद पर काबू न रख सके और रो पड़े। उन्होंने डॉक्टर अलाआ अल-नज्जार की कहानी साझा की—36 वर्षीय यह बाल रोग विशेषज्ञ और 10 बच्चों की मां अपने पेशेवर धर्म का पालन करते हुए अस्पताल में बच्चों की जान बचा रही थीं, जब उनके अपने जले हुए और मृत बच्चों के शव उसी अस्पताल में लाए गए। उन्होंने 10 में से 9 बच्चों को खो दिया।
राजदूत मंसूर ने युद्धविराम के टूटने के बाद हुई तबाही पर भी रोशनी डाली और बताया कि मार्च के बाद से ही 1,300 से ज्यादा फिलिस्तीनी बच्चे मारे गए हैं और लगभग 4,000 घायल हुए हैं। “ये बच्चे हैं, बच्चे… और युद्ध अब भी जारी है।”
गाज़ा में हालात हर पल बिगड़ते जा रहे हैं और यह संकट न केवल राजनीतिक या सैन्य मुद्दा है, बल्कि एक गहराता हुआ मानवीय त्रासदी है, जिसमें सबसे मासूम — बच्चे — सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
यह युद्ध बच्चों का नहीं है, लेकिन इसकी सबसे दर्दनाक कीमत वे ही चुका रहे हैं।