भारत की नाराज़गी के बावजूद, एर्दोआन की ‘भाई-भाई’ वाली दोस्ती कायम है! सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के लिए प्यार उमड़ रहा है, उन्होंने वादा किया कि तुर्किए हमेशा पाकिस्तान के साथ रहेगा, चाहे अच्छे दिन हों या बुरे।यह तब हो रहा है जब भारत में तुर्किए के साथ व्यापार रोकने की बात हो रही है। भारत में तुर्किए के सेबों का बहिष्कार और हवाई अड्डों पर तुर्किए की कंपनी की छुट्टी हो रही है। दिल्ली-मुंबई जैसे 9 हवाई अड्डों पर तुर्किए की कंपनी का काम भी बंद किया गया।
तुर्किए पर फूटा भारतीयों का गुस्सा
शायद यह पहली बार है जब भारत में तुर्किए को लेकर इतना ज़्यादा गुस्सा दिख रहा है। इसकी वजह है कि तुर्किए ने भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया। इतना ही नहीं, तुर्किए ने पाकिस्तान को भारत से लड़ने के लिए ड्रोन भी दिए। अब भारतीय कह रहे हैं कि जब फरवरी 2023 में तुर्किए में भयानक भूकंप आया था, तब भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर उनकी मदद की थी। लेकिन अब वही तुर्किए पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया है। केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने तुर्किए का बायकॉट करने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय समझ गए हैं कि उनकी मेहनत की कमाई देश के दुश्मनों पर खर्च नहीं होनी चाहिए। सिर्फ तुर्किए ही नहीं, भारतीयों का गुस्सा अजरबैजान पर भी फूटा है, क्योंकि अजरबैजान ने भी पाकिस्तान का साथ दिया था। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey, #SayNoToTurkey, #ZeroToleranceToTerrorism और #BoycottTurkeyAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
कारोबारी रिश्ते कैसे हैं?
भारत का तुर्किए और अजरबैजान के साथ ज़्यादा व्यापार नहीं है। अच्छी बात यह है कि भारत इन दोनों देशों को ज़्यादा सामान बेचता है और उनसे कम खरीदता है, जिससे भारत को फायदा होता है।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो सालों में तुर्किए के साथ व्यापार कम हुआ है। पिछले साल (अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक) भारत और तुर्किए के बीच लगभग 67,859 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। इसमें से भारत ने करीब 44 हज़ार करोड़ रुपये का सामान बेचा और 24 हज़ार करोड़ रुपये का खरीदा। अगर पिछले पाँच सालों के आँकड़े देखें, तो भारत और तुर्किए के बीच सबसे ज़्यादा व्यापार 2022-23 में हुआ था, जो 1.11 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा था। तब से अब तक भारत और तुर्किए के व्यापार में 39 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह, अजरबैजान के साथ भी भारत का व्यापार बहुत ज़्यादा नहीं है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत और अजरबैजान के बीच सिर्फ 731 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। इसमें से 725 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निर्यात था।

क्या खरीदते-बेचते हैं?
भारत तुर्किए को ईंधन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रसायन, दवाएं, प्लास्टिक, रबर, कपास, लोहा और स्टील बेचता है। तुर्किए से मार्बल, सेब, सोना, सब्जियां, तेल और रसायन खरीदता है।भारत अजरबैजान को तंबाकू, चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कागज बेचता है। अजरबैजान से चारा, कुछ रसायन, परफ्यूम और चमड़ा खरीदता है।भारतीय कंपनियों ने तुर्किए में थोड़ा निवेश किया है, जबकि तुर्किए की कंपनियों का भारत में ज़्यादा निवेश है।
घूमने-फिरने के बारे में आँकड़े क्या कहते हैं?
हर साल बहुत सारे भारतीय घूमने के लिए तुर्किए और अजरबैजान जाते हैं। माना जाता है कि 2023 में लगभग 3 लाख भारतीय तुर्किए और 2 लाख भारतीय अजरबैजान घूमने गए थे। यह भी माना जाता है कि भारतीयों ने इन दोनों देशों में मिलकर करीब 4 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसका मतलब है कि हर भारतीय पर्यटक ने औसतन 1 लाख रुपये तक खर्च किए थे।वहीं, तुर्किए में अभी लगभग 3 हज़ार भारतीय रहते हैं, जिनमें 200 छात्र हैं। इसी तरह, अजरबैजान में सिर्फ 1,500 भारतीय ही रहते हैं।