तुर्किये (पुराना तुर्की) में चार दशकों से चल रही कुर्द बग़ावत का अंत होता दिख रहा है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) ने आधिकारिक रूप से खुद को भंग करने की घोषणा कर दी है। यह फैसला न सिर्फ तुर्किये बल्कि पूरे मध्य-पूर्व (Middle East) के राजनीतिक मानचित्र को हिला सकता है। पीकेके का यह निर्णय उन हज़ारों जिंदगियों की याद दिलाता है जो इस संघर्ष में खो गईं, और उन उम्मीदों को भी जन्म देता है जो अब शांति की ओर देख रही हैं।
PKK क्या था?
स्थापना और विचारधारा:
PKK की स्थापना 1978 में अब्दुल्ला ओकलान (Abdullah Öcalan) ने की थी। यह संगठन मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से प्रेरित था और इसका मूल मक़सद था – कुर्दों के लिए अलग राष्ट्र या कम से कम उन्हें स्वायत्त अधिकार दिलाना।
कुर्द कौन हैं?
कुर्द एक विशाल जातीय समुदाय हैं, जो तुर्की, इराक, ईरान और सीरिया में फैले हुए हैं। इनकी संख्या करीब 3 से 4 करोड़ मानी जाती है। लेकिन इन्हें कहीं भी अपना स्वतंत्र देश नहीं मिला। तुर्किये में इन्हें दशकों तक अपने भाषा, संस्कृति और पहचान के अधिकारों से वंचित रखा गया।
1984: जब PKK ने थामा बंदूक का रास्ता
PKK ने 1984 से तुर्की सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू किया। संगठन के लड़ाके पहाड़ियों में छिपकर हमला करते और फिर गायब हो जाते। इस लड़ाई में बम धमाके, सड़क पर घात लगाकर हमले, स्कूलों व गांवों पर हमले आम बात हो गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक 40,000 से ज़्यादा लोग मारे गए, जिनमें बड़ी संख्या आम नागरिकों की थी।
लड़ाई की भौगोलिक सीमा और अंतरराष्ट्रीय रुख
पीकेके की गतिविधियाँ सीमित नहीं रहीं। उन्होंने सीरिया और इराक के कुर्द इलाकों तक अपनी पहुंच बनाई। तुर्की ने भी जवाबी कार्रवाई में उत्तरी इराक के भीतर ऑपरेशन चलाए। धीरे-धीरे अमेरिका, यूरोपीय संघ, और नाटो जैसे संगठनों ने PKK को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
अब्दुल्ला ओकलान: जेल में बंद भी बना रहा नेता
1999 में ओकलान को केन्या से गिरफ्तार कर लाया गया और तब से वह तुर्की की जेल में है। इसके बावजूद उसने कई बार शांति का प्रस्ताव दिया। 2013 और फिर 2025 में ओकलान ने संघर्षविराम और संगठन को समाप्त करने की अपील की।
PKK की ऐतिहासिक घोषणा: अब नहीं उठेगी बंदूक
फरवरी 2025 में ओकलान के संदेश के बाद, मई में PKK की 12वीं कांग्रेस हुई, जिसमें संगठन ने खुद को भंग करने की औपचारिक घोषणा की।
बयान में कहा गया:
“हमने अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा कर लिया है… अब PKK के नाम से कोई गतिविधि नहीं होगी… जंगी बगावत की पद्धति समाप्त की जा रही है।” PKK ने इसे लोकतंत्र की ओर बढ़ने वाला कदम बताया।
तुर्की सरकार की प्रतिक्रिया: सावधानी के साथ स्वागत
तुर्की सरकार ने इसे “सकारात्मक और ऐतिहासिक मोड़” कहा है, लेकिन साथ ही चेताया है कि इस पर विश्वास तभी होगा जब PKK से जुड़े सभी गुट – जैसे KCK, YPG आदि – भी खुद को खत्म करेंगे।
क्या ओकलान को मिलेगा रिहाई का मौका?
कुछ अधिकारियों ने इशारा किया है कि अगर शांति बनी रहती है तो अब्दुल्ला ओकलान को पैरोल पर रिहाई दी जा सकती है। हालांकि, यह कदम राजनीतिक रूप से संवेदनशील होगा और अभी कोई ठोस घोषणा नहीं हुई है।
अब सबसे बड़ा सवाल: PKK के लड़ाकों का क्या होगा?
पीकेके के हज़ारों लड़ाके आज भी पहाड़ियों या सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अब सवाल उठता है:
क्या इन्हें समाज में दोबारा शामिल किया जाएगा?
क्या इन्हें तीसरे देशों में भेजा जाएगा?
क्या इनके लिए पुनर्वास कार्यक्रम शुरू होगा?
सरकार की तरफ़ से अभी तक इस पर कोई विस्तृत नीति सामने नहीं आई है।
कुर्दों की प्रतिक्रियाएं: राहत और सवाल दोनों
कुर्द समाज में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है:
राहत: कई कुर्द अब शांति की उम्मीद कर रहे हैं।
कुर्द नेताओं का मानना है कि यह फैसला तभी सार्थक होगा जब इसके बदले में संवैधानिक और प्रशासनिक रियायतें दी जाएं।
PKK को आतंकी सूची से हटाना – आसान नहीं
हालांकि संगठन ने खुद को भंग किया है, लेकिन अभी तक वह तुर्की, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की आतंकी सूची में बना हुआ है इस सूची से हटाने के लिए स्थायी और पूर्ण शांति की गारंटी चाहिए। KK से जुड़े सभी संगठनों की समाप्ति होनी चाहिए।
मध्य-पूर्व में बदलती तस्वीर: क्या तुर्किये नया रोल निभाएगा?
यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब सीरिया में कुर्द प्रशासन बन रहा है, और अमेरिका अपनी मध्य-पूर्व नीति की समीक्षा कर रहा है। अगर तुर्की कुर्दों के साथ स्थायी समझौता करता है, तो यह पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम होगा।